चेहरे पर झुर्रियां, चौके पर तेजी से चलाती बेलन और धंसी हुईं आखों में उम्मीद की नई किरण लिये अपना गुजारा करती ये बुढ़ी महिला इन दिनों परेशान है। बाबा का ढाबा की तरह इन्हें आगरा की रोटी वाली अम्मा के नाम से जाना जाता है। इनकी छोटी सी खाने की दुकान है, जो इन दिनों कोरोना काल में संत जॉन कॉलेज के सामने सड़क किनारे लगाती हैं। यहां वो मात्र बीस रुपए में खाना की थाली देती हैं। जिसनें सब्जी, रोटी दाल और चावल होता है।