Sangli News: मिरज में बने सितार और तानपुरा को जीआई टैग, जानिए संगीत वाद्ययंत्र को बारे में

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 7, 2024 11:13 PM2024-04-07T23:13:53+5:302024-04-07T23:14:34+5:30

Sangli News: मिरज में सितार और तानपुरा बनाने की परंपरा 300 साल से भी अधिक पुरानी है। सात पीढ़ियों से अधिक समय से कारीगरों इन तार आधारित वाद्ययंत्रों को बनाने का काम कर रहे हैं।

Sangli News GI tag to Sitar and Tanpura made in Miraj know about musical instrument | Sangli News: मिरज में बने सितार और तानपुरा को जीआई टैग, जानिए संगीत वाद्ययंत्र को बारे में

सांकेतिक फोटो

Highlights'सोलट्यून म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट प्रोड्यूसर फर्म' को तानपुरा के लिए जीआई टैग दिया था। 450 से अधिक कारीगर सितार और तानपुरा सहित संगीत वाद्ययंत्रों के निर्माण करते हैं।महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के मंगलवेधा क्षेत्र से कद्दू खरीदी जाती है।

Sangli News: महाराष्ट्र के सांगली जिले के एक छोटे से कस्बे मिरज में बनाए जाने वाले सितार और तानपुरा को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग मिला है। यह क्षेत्र संगीत वाद्ययंत्र बनाने की शिल्प कौशल के लिए जाना जाता है। निर्माताओं ने दावा किया कि ये वाद्ययंत्र मिरज में बनाए जाते हैं और शास्त्रीय संगीत के कलाकारों के साथ-साथ फिल्म उद्योग के प्रसिद्ध कलाकारों के बीच भी इनकी भारी मांग है। एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र में निर्मित उत्पाद को जीआई टैग मिलता है और इससे उत्पाद का व्यावसायिक मूल्य बढ़ जाता है। निर्माताओं ने बताया कि मिरज में सितार और तानपुरा बनाने की परंपरा 300 साल से भी अधिक पुरानी है। सात पीढ़ियों से अधिक समय से कारीगरों इन तार आधारित वाद्ययंत्रों को बनाने का काम कर रहे हैं।

भारत सरकार की भौतिक संपदा कार्यालय ने 30 मार्च को मिराज म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स क्लस्टर को सितार के लिए और 'सोलट्यून म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट प्रोड्यूसर फर्म' को तानपुरा के लिए जीआई टैग दिया था। मिराज म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स क्लस्टर के अध्यक्ष मोहसिन मिरजकर ने कहा कि यह शहर में सितार और तानपुरा निर्माताओं दोनों के लिए शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है।

उन्होंने बताया कि संस्था में 450 से अधिक कारीगर सितार और तानपुरा सहित संगीत वाद्ययंत्रों के निर्माण करते हैं। उन्होंने बताया कि मिरज में बने सितार और तानपुरा की बहुत अधिक मांग है, लेकिन स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सीमित संसाधनों के कारण मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि देश के कई हिस्सों में मिरज-निर्मित होने का दावा कर वाद्ययंत्र बेचे जाते हैं।

जब हमें इस बारे में शिकायतें मिलना शुरू हुई तो हमने वाद्ययंत्र के लिए जीआई टैग लेने का फैसला किया और 2021 में इसके लिए आवेदन किया। उन्होंने कहा कि मिरज में बनाए जाने वाले सितार और तानपुरा के लिए कर्नाटक के जंगलों से लकड़ी खरीदी जाती है, जबकि महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के मंगलवेधा क्षेत्र से कद्दू खरीदी जाती है।

मिरजकर ने कहा, ‘‘निर्माता एक महीने में 60 से 70 सितार और लगभग 100 तानपुरा बनाते हैं।’’ उन्होंने दावा किया कि उस्ताद अब्दुल करीम खान साहब, दिवंगत पंडित भीमसेन जोशी और राशिद खान मिरज में बने वाद्ययंत्र खरीदते थे। उन्होंने कहा कि शुभा मुद्गल जैसे कलाकारों और फिल्म उद्योग के गायकों जैसे जावेद अली, हरिहरन, सोनू निगम और ए.आर रहमान ने मिरज में बने वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल किया है। 

Web Title: Sangli News GI tag to Sitar and Tanpura made in Miraj know about musical instrument

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