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ऐसे ही नहीं हिंदू से मुसलमान बने एआर रहमान, इसके पीछे है छू जाने वाली कहानी

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: January 06, 2018 9:17 AM

मध्यम वर्ग के परिवार में जन्मे एआर रहमान आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है।

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अपने सुरों से दुनियाभर के लोगों को सुकून देने वाले संगीतकार और ऑस्कर विजेता 6 जनवरी को 52 साल के हो गए हैं मध्यम वर्ग के परिवार में जन्मे एआर रहमान आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए रहमान ने बहुत कड़ी मेहनत की है। एआर रहमान ने भारतीय संगीत नई ऊंचाइयां दी हैं। ऐसा इंडियन क्लासिकल और वेस्टर्न फ्यूजन का उम्दा इस्तेमाल कहीं और नहीं मिलता है।

भारतीय संगीत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान दिला चुके हैं, लेकिन इस पहचान को बनाने के लिए उन्हें जिंदगी के कई थपेड़े भी झेलने पड़े। जब वे सिर्फ नौ साल के थे तब उनके पिताजी की मौत हो गई जिसकी वजह से वे स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाए थे।

जब हिन्दू से मुस्लमान बन गए रहमान 

पिता की मौत के बाद कट्टरपंथियों ने उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से वे काफी उदास रहने लगे थे। आपको बता दें कि एआर रहमान का बचपन में नाम एएस दिलीप कुमार था। बताया जाता है कि 1989 में रहमान की बहन काफी बीमार रहती थी सभी सभी डॉक्टरों ने कह दिया था कि उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं है। इस हालत में रहमान मस्जिद में जाकर दुआएं मांगने लगे। वहां उनकी दुआ कबूल हुई और उनकी बहन चमत्कारिक रूप से ठीक हो गई। इस चमत्कार को देख रहमान ने इस्लाम कबूल कर लिया। आपको बता दें कि इस कथन को लेकर भी मतभेद है। उनकी बायोग्राफी में उनके इस्लाम कबूल करने को लेकर कुछ और वजह बताई गई है। उनकी बायोग्राफी ‘द स्पिरिट ऑफ म्यूजिक’ में बताया गया है कि उन्होंने एक ज्योतिषी के कहने पर अपना नाम बदला था। रहमान ने एक इंटरव्यू में बताया कि यह सच है कि उन्हें अपना नाम अच्छा नहीं लगता था। एक दिन जब मेरी मां मेरी बहन की कुंडली दिखाने एक पंडित के पास गई तो उस हिंदू ज्योतिषी ने मुझे अपना नाम बदलने की सलाह दी।

रहमान के रिकॉर्ड

रहमान के गानों की 200 करोड़ से भी अधिक रिकॉर्डिग बिक चुकी है, वह विश्व के 10 सर्वश्रेष्ठ संगीतकारों में शुमार किए जाते हैं। रहमान के देश भक्ति के गाने भी फैंस को छू जाते हैं। साल 2002 में जब बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ने 7000 गानों में से अब तक के 10 सबसे मशहूर गानों को चुनने का सर्वेक्षण कराया तो 'वंदे मातरम' को दूसरा स्थान मिला। रहमान के नाम सबसे ज्यादा भाषाओं में इस गाने पर पेश करने के  कारण इसके नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज है।

ऑस्कर से लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार तक रहमान के हैं पास

वर्ष 2000 में रहमान पद्मश्री से सम्मानित किए गए हैं। फिल्म 'स्लम डॉग मिलेनियर' के लिए वह गोल्डन ग्लोब, ऑस्कर और ग्रैमी जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं, इस फिल्म का गीत 'जय हो' देश-विदेश में खूब मशहूर हुआ। रहमान ने कई संगीत कार्यक्रमों में इस गीत को गाया। रहमान चार राष्ट्रीय पुरस्कार, 15 फिल्मफेयर पुरस्कार, दक्षिण बारतीय फिल्मों में बेहतरीन संगीत देने के लिए 13 साउथ फिल्म फेयर पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। फिल्म '127 आवर्स' के लिए रहमान बाफ्टा पुरस्कार से सम्मानित किए गए। 

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