North Atlantic Treaty Organisation: फिनलैंड मंगलवार, 4 अप्रैल को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का 31वां सदस्य बन गया है। नाटो के महासचिव जेन स्टोलटेनबर्ग ने इसकी घोषणा की है। फिनलैंड रूस के साथ एक लंबी सीमा साझा करता है और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से ही नाटो का सदस्य बनने की कोशिश कर रहा था।
हालांकि के नाटो के सदस्य देश तुर्की ने लंबे समय तक फिनलैंड को नाटो की सदस्यता पाने से रोके रहा। तुर्की का कहना था कि फिनलैंड "आतंकवादियों" का समर्थन कर रहा था। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयब एर्दोआन ने फिनलैंड पर कुर्द आतंकवादियों को समर्थन देने और उन्हें स्टॉकहोम की सड़कों पर प्रदर्शन करने की अनुमति देने का आरोप लगाया।
तुर्की राष्ट्रपति का कहना है कि नाटो को फिलहाल किसी भी तरह के विस्तार की जरूरत नहीं है।नाटो के कानून के अनुसार किसी भी अन्य देश को संगठन में शामिल करने के लिए सभी सदस्य देशों का सहमति होना अनिवार्य है। फिनलैंड के अलावा स्वीडन ने भी नाटो का सदस्यता के लिए आवोदन किया है लेकिन तुर्की स्वीडन की राह में भी रोड़े अटका रहा है।
फिनलैंड का नाटो में स्वागत करते हुए संगठन के महासचिव जेन स्टोलटेनबर्ग ने ब्रसेल्स में कहा, "हम पहली बार यहां नाटो मुख्यालय में फिनिश झंडा फहराएंगे। यह फिनलैंड की सुरक्षा, नॉर्डिक सुरक्षा और समग्र रूप से नाटो के लिए एक अच्छा दिन होगा।"बता दें कि फिनलैंड रूस के साथ 1,340 किमी की सीमा साझा करता है।
पश्चिमी यूरोप में सैन्य शक्ति के मामले में फिनलैंड एक अहम देश है। फिनलैंड अब तक वैश्विक मंचों पर तटस्थ रहने की नीति अपनाता था लेकिन यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद नाटो गठबंधन में शामिल होने का फैसला किया। नाटो एक शक्तिशाली सैन्य गठबंधन है और इसके किसी भी सदस्य देश पर हमला पूरे संगठन पर हमला माना जाता है।
उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) को एक सैन्य गठबंधन के रूप में सोवियत संघ के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों द्वारा अप्रैल, 1949 में स्थापित किया गया था। वर्तमान में इसमें 30 सदस्य राज्य शामिल हैं।
अब फिनलैंड 31वां सदस्य हो गया है। इसके मूल सदस्य बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्राँस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका थे। नाटो का मुख्यालय: ब्रुसेल्स, बेल्जियम में है।