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Budget Predictions 2019: गोयल के बजट में किसानों और महिलाओं को मिल सकती है राहत की सांस

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 01, 2019 9:56 AM

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आम चुनाव से पहले शुक्रवार को पेश किये जाने वाले बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा किसानों के लिये राहत पैकेज, छोटे उद्यमियों को समर्थन और कुछ अन्य लोक लुभावन घोषणायें वित्त मंत्री पीयूष गोयल के बजट का हिस्सा हो सकतीं हैं। दरअसल, मोदी सरकार के कार्पोरेट प्रेमी होने पर सवाल उठते रहे हैं। इस बजट में कुछ ऐसी घोषणाओं के जरिए सरकार आम लोगों का हितैषी होने का संदेश देने की पूरी कोशिश करेगी। यह बजट केन्द्र की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के मौजूदा कार्यकाल का छठा और अंतिम बजट होगा। यह अंतरिम बजट होगा जिसमें टैक्स और अन्य विषयों पर कोई नीतिगत फैसले लेने से बचा जाता है लेकिन उद्योग सूत्रों और विशेषज्ञों का कहना है कि वित्त मंत्री गोयल इससे आगे बढ़कर कुछ नई घोषणायें कर सकते हैं। अंतरिम बजट में अगले वित्त वर्ष के चार महीने के खर्च के लिये संसद की अनुमति ली जायेगी। पूर्ण बजट आम चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार जुलाई में पेश करेगी।
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कांग्रेस के उभार को देखते हुये गोयल किसानों को राहत पहुंचाने के लिये प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण जैसे किसी योजना की घोषणा कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मतदाताओं को रिझाने के लिये पहले ही कह चुके हैं कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो किसानों का कर्ज माफ किया जायेगा और गरीबों को न्यूनतम आय सीधे हस्तांतरित की जायेगी।
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गोयल ने पिछले सप्ताह ही वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला है। अरुण जेटली के इलाज के लिये अमेरिका जाने के बाद उन्हें वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि बजट में व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया जा सकता है जबकि 60 से 80 वर्ष की आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिये इसे साढे तीन लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। महिलाओं की भी साढे तीन लाख रुपये तक की सालाना आय को करमुक्त किया जा सकता है।
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भले ही मोदी सरकार का ये अंतरिम बजट है लेकिन फिर भी महिलाओं को इस बजट से उम्मीदें हैं। पिछली बार जो मांग पूरी नहीं हो पाई थी, जैसे सैनेटरी पैड सस्ते हो, बजट में महिला सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति के लिए राशि आवंटित नहीं होनी चाहिए, बल्कि महिला सुरक्षा को बजट में खास तवज्जो मिले। निर्भया फंड में सुरक्षा के नाम पर आवंटित राशि दोगुनी किए जाने की जरूरत है। रसोई में इस्तेमाल होने वाली रोजमर्रा की चीजें सस्ती हों। बजट में स्त्री शिक्षा पर अधिक खर्च हो और महिला किसानी को सुगम बनाया जाए। इसके अलावा रसोई में इस्तेमाल होने वाला सामान सस्ता हो जाए।
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एक फरवरी को पेश होने वाले देश के अंतरिम बजट में शिक्षा क्षेत्र में काफी उम्मीदे हैं। खासतौर पर हायर एजुकेशन के छात्रों को लुभाने के प्रयास किए जा सकते हैं। वहीं छात्रों को भी इस बजट से काफी उम्‍मीदें हैं। इस साल एजुकेशन सेक्‍टर में डिजिटल इंडिया की झलक दिख सकती है। वहीं कई छात्रों को एजुकेशन लोन में छूट और सरलता की उम्‍मीद है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार आगामी बजट में एजुकेशन सेक्टर में छात्रों और शिक्षकों के उम्मीदों पर खरे उतर पाएंगे। यह तो 1 फरवरी को आम बजट पेश होने के बाद ही पता चलेगा।
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छोटे व्यावसायों के लिये सस्ते कर्ज की योजना घोषित हो सकती है। कृषि क्षेत्र के राहत पैकेज में संभावित विकल्पों के तौर पर तेलंगाना राज्य की तर्ज पर किसानों को सीधे नकद राशि के हस्तांतरण की घोषणा की जा सकती है। उन किसानों के लिये जो समय पर अपना कर्ज चुकाते हैं ब्याज मुक्त फसल रिण देने की सुविधा दी जा सकती है। खाद्यान्न फसलों के बीमा पर प्रीमियम को समाप्त किया जा सकता है।
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गोयल किसानों को राहत पहुंचाने के लिये नकद हस्तांतरण जैसे किसी योजना की घोषणा कर सकते हैं।
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किसानों को राहत पैकेज पर 70 हजार करोड़ से लेकर एक लाख करोड़ रुपये तक की लागत आ सकती है।
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सर्वजनीन न्यूनतम आय योजना की घोषणा भी की जा सकती है।
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वर्ष 2016- 17 के आर्थिक सर्वेक्षण में इसकी अवधारणा रखी गई थी।
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बजट में व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया जा सकता है।
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60 से 80 वर्ष की आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिये इसे साढे तीन लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
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महिलाओं की भी साढे तीन लाख रुपये तक की सालाना आय को करमुक्त किया जा सकता है।
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80सी के तहत मिलने वाली छूट को मौजूदा डेढ लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये हो सकता है।
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छोटे व्यावसायों के लिये सस्ते कर्ज की योजना घोषित हो सकती है।
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सरकार रोजगार सृजन के लिये भी ठोस उपाय किये जा सकते हैं
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सरकार पर रोजगारविहीन जीडीपी वृद्धि हासिल करने का आरोप लगाया जाता रहा है।
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