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कृषि विधेयक प्रदर्शन: सड़क पर किसान, संसद में संग्राम, कार्यकर्ताओं पर पानी की बौछार, see pics

By सतीश कुमार सिंह | Published: September 23, 2020 9:57 PM

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हरियाणा पुलिस ने बुधवार को केंद्र के कृषि विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन के लिए पंजाब से दिल्ली जा रहे लोक इंसाफ पार्टी (एलआईपी) के कार्यकर्ताओं पर अंबाला के समीप अंतर-राज्यीय सीमा पर बैरिकेड पार करने की कोशिश करने पर पानी की बौछार की।
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पुलिस ने कहा कि उसने एलआईपी कार्यकर्ताओं को बैरिकेड नहीं पार करने की चेतावनी थी और कोरोना वायरस महामारी के चलते लगी पाबंदियों के मद्देनजर प्रदर्शनकारियों के एक बड़े समूह को आगे बढ़ने की अनुमति देने से मना कर दिया था। जब एलआईपी नेता सिमरजीत सिंह बैंस और बलविंद सिंह बैंस की अगुवाई में पार्टी कार्यकर्ता आगे बढ़ने पर अड़ गये तब कुछ समय के लिए तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गयी।
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इसी दौरान हरियाणा पुलिस लगातार घोषणाएं करते हुए एलआईपी कार्यकर्ताओं से लौट जाने का आह्वान करती रहीं। एलआईपी के नेताओं ने रोके जाने पर कहा कि उन्हें प्रदर्शन करने का लोकतांत्रिक अधिकार है। लोक इंसाफ पार्टी ने पहले कृषि विधेयकों को लेकर संसद का घेराव करने की घोषणा की थी।
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एलआईपी कार्यकर्ताओं ने अंबाला-राजपूरा-लुधियाना राष्ट्रीय राजमार्ग पर अंबाला शहर के निकट हरियाणा में प्रवेश करने का प्रयास किया। पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए शंभू सीमा के पास पूरे इलाके को सील कर दिया था। प्रदर्शनकारियों को हरियाणा में प्रवेश करने से रोकने के लिए अंबाला पुलिस के बड़ी संख्या में कर्मियों को तैनात किया गया था।
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आंदोलनकारियों ने कई बार बैरिकेड तोड़ने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से काले झंडे लेकर बाइक रैली निकाली थी। पुलिस ने बताया कि मौके पर लगभग तीन घंटे के विरोध प्रदर्शन के बाद शाम को प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया गया।
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बल का नेतृत्व कर रहे पुलिस उप अधीक्षक राम कुमार ने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से जाने के लिए राजी कर लिया। एलआईपी नेता सिमरजीत सिंह बैंस ने उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं देने के पुलिस के कथित तानाशाही रवैये की निंदा की।
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गौरतलब है कि संसद के दोनों सदनों ने विपक्ष के विरोध के बीच कृषि से संबंधित दो विधेयकों कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 को रविवार को पारित कर दिया था। आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को राज्यसभा में मंगलवार को पारित किया गया।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कई विपक्षी दलों की तरफ से बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और कहा कि संसद में कृषि संबंधी विधेयकों को ‘असंवैधानिक’ तरीके से पारित किया गया है इसलिए राष्ट्रपति को इन विधेयकों को संस्तुति नहीं देकर इनको वापस भेजना चाहिए।
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रविवार को राज्यसभा में हंगामे के लिए विपक्ष नहीं बल्कि सरकार जिम्मेदार है। कांग्रेस समेत कुल 18 राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करते हुए आजाद ने राष्ट्रपति से भेंट की। पहले कई प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों वाले शिष्टमंडल को राष्ट्रपति के पास जाना था, लेकिन कोरोना महामारी से जुड़े प्रोटोकाल के कारण आजाद ने अकेले कोविंद से भेंट की। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद आजाद ने कई विपक्षी नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से कहा, ‘‘सोमवार को करीब 18 दलों के नेताओं ने सहमति जताई थी कि राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें इससे अवगत कराया जाए कि किस तरह तरह से राज्यसभा में किसानों से संबंधित विधेयक पारित कराया गया।’’
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