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'वंचित' की वजह से कांग्रेस-एनसीपी रहे जीत से वंचित, 14 सीटों पर वोट काटकर बिगाड़ा गणित

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 24, 2019 8:21 AM

आंकड़ों के लिहाज से कांग्रेस-राकांपा आघाड़ी को नहीं मिल पाया, क्योंकि पूरे राज्य में करीब 14 सीटें ऐसी हैं, जहां वंचित बहुजन आघाड़ी ने 50 हजार से डेढ़ लाख वोट लेकर उसकी तमाम संभावनाओं पर पानी फेर दिया.

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ठळक मुद्देकरीब 14 सीटें ऐसी हैं, जहां वंचित बहुजन आघाड़ी ने 50 हजार से डेढ़ लाख वोट लेकर उसकी तमाम संभावनाओं पर पानी फेर दिया. प्रकाश आंबेडकर के भारिप-बहुजन महासंघ और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआई एम ने मिलाकर महाराष्ट्र में वंचित बहुजन आघाड़ी बनाई थी

प्रमोद गवली, मुंबई: महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना की भगवा महायुति ने 2014 का प्रदर्शन करीब-करीब दोहराया है, पर दोनों पार्टियों का वोट प्रतिशत मामूली घटा है. इसका लाभ आंकड़ों के लिहाज से कांग्रेस-राकांपा आघाड़ी को नहीं मिल पाया, क्योंकि पूरे राज्य में करीब 14 सीटें ऐसी हैं, जहां वंचित बहुजन आघाड़ी ने 50 हजार से डेढ़ लाख वोट लेकर उसकी तमाम संभावनाओं पर पानी फेर दिया.

प्रकाश आंबेडकर के भारिप-बहुजन महासंघ और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआई एम ने मिलाकर महाराष्ट्र में वंचित बहुजन आघाड़ी बनाई थी और कांग्रेस-राकांपा से गठबंधन पर बात न बन पाने के बाद कमोबेश हर सीट पर प्रत्याशी उतारे थे. प्रकाश आंबेडकर अकोला और सोलापुर, दो जगह से लड़े. दोनों सीटें भाजपा को गई हैं.

चव्हाण-शिंदे का गणित भी बिगाड़ा

कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका नांदेड़ से लगा, जहां से उसके कद्दावर नेता और प्रदेशाध्यक्ष अशोक चव्हाण को भाजपा के प्रताप पाटिल चिखलीकर ने 42299 वोटों से हरा दिया. यहां वंचित बहुजन आघाड़ी यशपाल भिंगे ने करीब एक लाख वोट लेकर चव्हाण का गणित बिगाड़ दिया. इसी तरह सोलापुर से पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशीलकुमार शिंदे लगातार दूसरी बार चुनाव हार गए. उन्हें भाजपा के जयसिद्धेश्वर महाराज ने हरा दिया. यहां भी प्रकाश आंबेडकर ने शिंदे को हराने में योगदान दिया.

राकांपा ने दो सीट गंवाईं, दो छीनीं

राकांपा को पश्चिम महाराष्ट्र ने फिर एक बार सहारा देते हुए तीन सीटें दिलाईं. उसने जहां बारामती, शिरूर और सातारा में सफलता पाई, वहीं कोल्हापुर और माढ़ा की सीटें गंवानी पड़ी हैं. राकांपा को एक सीट कोंकण (रायगढ़) से मिली. इस प्रकार उसे कुल चार सीटों पर जीत हासिल हुई. पिछले चुनाव में भी उसे इतनी ही सीटें मिली थीं. विदर्भ में कांग्रेस को सहारा कांग्रेस ने किसी तरह एक सीट (चंद्रपुर) जीतकर 'शून्य' वाली शर्मनाक स्थिति से बच गई. वह भी स्थानीय रूप से भारी विरोध के बाद प्रत्याशी बदलने के कारण.

क्षेत्रवार देखा जाए, तो पता चलता है कि कांग्रेस को विदर्भ को छोड़कर सभी विभागों मे मुंह की खानी पड़ी है. मुंबई की सभी छह सीटें भगवा गठजोड़ ने अपने पास बनाए रखी हैं. यही स्थिति उत्तर महाराष्ट्र और मराठवाड़ा की है. पिछले चुनाव में कांग्रेस को नांदेड़ और हिंगोली से जीत हासिल हुई थी.

टॅग्स :लोकसभा चुनावमहाराष्ट्र लोकसभा चुनाव 2019भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
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