Pune Porsche Crash: तेज रफ्तार से हुए हादसे में पुलिस ने खुलासा किया और बताया कि मुख्य आरोपी जो 17 वर्षीय लड़का है, उसे बचाने के लिए परिवार वालों ने ड्राइवर पर आरोप लेने का दबाव बनाया। यहीं नहीं इसके बदले उसे रिश्वत देने की भी पेशकश की। आरोपी ने तेज रफ्तार कार से पुणे में दो इंजीनियर की मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी। मौके पर दोनों की मौत हो गई थी, फिर घटना के बाद पुणे की सड़कों पर लोगों का गुस्सा फूटा और सोशल मीडिया पर भी लोगों ने प्रतिक्रिया दी। इसके बाद तो मामला तूल पकड़ता गया। खुद महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी इस मामले प्रेसवार्त कर सफाई दी और कहा था कि यह निर्भया के बाद दूसरा मामला है।
पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने शनिवार को मीडिया से बताया कि आरोपी के परिवार ने ड्राइवर को अपने ऊपर आरोप लेने के लिए दबाव बनाया। यही नहीं ये भी कहा कि अगर ऐसा वो करते, तो उन्हें रुपये भी दिया जाता, जिससे मुख्य आरोपी को कानूनी कार्रवाई से बचाया जा सके। यह बात मामले की तह तक पहुंचने के बाद पता चली।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि जब ड्राइवर पहली बार पुलिस स्टेशन आया, तो उसने एक लिखित बयान दिया कि दुर्घटना के समय वह कार चला रहा था। जांच के बाद, पुलिस को पता चला कि यह किशोर ही था जो कार चला रहा था।
अधिकारी ने आगे बताया कि 17 वर्षीय लड़के और मुख्य आरोपी के परिवार ने ड्राइवर को धमकी दी और अपने ऊपर इलजाम लेने को कहा है। ड्राइवर को बंधक बनाकर रखा गया। हालांकि, ड्राइवर इस पूरी घटना में कहीं भी नहीं और दूर-दूर तक इससे उसका ताल्लुक नहीं है। (आरोपी नाबालिग के) परिवार ने ड्राइवर को रिश्वत देने की कोशिश की।
इस हफ्ते से पहले, पुलिस ने कोर्ट में बताया कि ड्राइवर ने लड़के को कार चलाने से मना कर दिया था और लड़के के पिता को फोन करके उसकी हरकतों के बारे में बताया। हालांकि, लड़के के पिता, जो एक अमीर बिल्डर हैं, उन्होंने ड्राइवर से किशोर और अपने बेटे को गाड़ी चलाने देने के लिए कहा।
पुणे पुलिस की अपराध शाखा ने शनिवार सुबह नाबालिग के दादा को ड्राइवर को कैद करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 365 और 368 के तहत एक अलग एफआईआर दर्ज की गई है। ड्राइवर, गंगाधर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि 19 मई की रात को पुलिस स्टेशन छोड़ने के बाद उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध सुरेंद्र अग्रवाल (दादा) के घर ले जाया गया था।