श्रीहरिकोटाः इसरो एक बार फिर अंतरिक्ष में अपना परचम लहरा दिया। इसरो ने कहा कि पीएसएलवी- सी49 ने भारत के भू-पर्यवेक्षण उपग्रह ईओएस-01 और उपभोक्ताओं के नौ अन्य उपग्रहों को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया है।
भारत के भू-पर्यवेक्षण उपग्रह ईओएस-01 व नौ अन्य उपग्रहों के साथ पीएसएलवी-सी49 ने श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी। इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा कि इस महामारी के दौरान टीम ने इस अवसर पर लाभ उठाया , गुणवत्ता पर समझौता किए बिना, COVID दिशानिर्देशों के अनुसार काम किया। इसरो के सभी कर्मचारियों को इस समय गुणवत्तापूर्ण काम करते देखना वास्तव में खुशी की बात है।
भारत के नवीनतम भू-पर्यवेक्षण उपग्रह ईओएस-01 और ग्राहकों के नौ अन्य उपग्रहों को पीएसएलवी-सी49 ने शनिवार को यहां से प्रक्षेपण के बाद सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया है। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी49/ईओएस-01) ने 26 घंटों की उल्टी गिनती के बाद अपराह्न तीन बजकर 12 मिनट पर यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं ISRO और भारत की स्पेस इंडस्ट्री को PSLV-C49/EOS-01 मिशन के सफल प्रक्षेपण के लिए बधाई देता हूं। हमारे वैज्ञानिकों ने COVID-19 के दौरान कई बाधाओं को पार करते हुए समय पर काम पूरा किया।
इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा कि यह मिशन इसरो के लिए बहुत खास और असामान्य है। अंतरिक्ष गतिविधि 'घर से काम' से नहीं की जा सकती। प्रत्येक इंजीनियर को लैब में उपस्थित होना होगा। जब इस तरह के मिशनों के बारे में बात की जाती है, तो प्रत्येक तकनीशियन, कर्मचारी को एक साथ काम करना होगा।
10 उपग्रहों के साथ लॉन्च होने वाले PSLV-C49 के साथ शनिवार दोपहर 3 बजकर 12 मिनट पर लॉन्च हुआ। पीएसएलवी सी-49 देश के रडार इमेजिंग उपग्रह (सैटेलाइट) और 9 अन्य विदेशी उपग्रहों को लेकर जाएगा।मिशन निदेशक ने कहा कि 3 बजकर 12 मिनट पर लॉन्च हुआ।
ISRO ने EOS01 और 9 ग्राहक उपग्रहों को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कहा कि EOS01 PSLVC49 के चौथे चरण से सफलतापूर्वक अलग हो गया और कक्षा में अलग हो किया गया।
इसरो ने कहा कि प्रक्षेपण का समय पहले तीन बजकर दो मिनट तय किया गया था लेकिन यान के मार्ग में मलबा होने की वजह से इसमें 10 मिनट की देरी की गई। यह इस साल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का पहला मिशन है। इसरो ने कहा कि ईओएस-01 से कृषि, वानिकी और आपदा प्रबंधन में मदद मिलेगी। ग्राहकों की बात करें तो इनमें लिथुआनिया (1), लक्जमबर्ग (4) और अमेरिका (चार) के उपग्रह शामिल थे।