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Army Day 2021: जानें आज के दिन ही भारत में सेना दिवस क्यों मनाया जाता है? 

By अनुराग आनंद | Published: January 15, 2021 7:59 AM

यह दिन सैन्य परेडों, सैन्य प्रदर्शनियों व अन्य आधिकारिक कार्यक्रमों के साथ नई दिल्ली व सभी सेना मुख्यालयों में मनाया जाता है। आर्मी के जवानों के दस्ते और अलग-अलग रेजिमेंट की परेड होती है।

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ठळक मुद्दे1899 में कर्नाटक के कुर्ग में जन्मे फील्ड मार्शल करिअप्पा ने महज 20 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी शुरू की थी।करिअप्पा ने वर्ष 1947 के भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था।

नई दिल्ली: आज भारत अपना 73वां सेना दिवस मना रहा है। देशभर के सभी सेना मुख्यालय में इस दिन का काफी धूमधाम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। हर साल 15 जनवरी के दिन को थल सेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन को ही भारतीय सेना दिवस के तौर पर क्यों मनाया जाता है?

बता दें कि देश की स्वतंत्रता के बाद पहले दो सेना प्रमुख ब्रिटिश मूल के थे। करियप्पा ने अंतिम ब्रिटिश कमांडर जनरल सर फ्रांसिस रॉबर्ट रॉय बुचर की जगह ली, जो 1 जनवरी, 1948 से 15 जनवरी, 1949 तक शीर्ष स्थान पर रहे थे।

इस वजह से 15 जनवरी भारतीय सेना के लिए बेहद खास दिन है- 

दरअसल, सेना हर साल 15 जनवरी को ही सेना दिवस के रूप में मनाती है क्योंकि इस दिन ही पहली बार सेना अध्यक्ष कोई भारतीय बना था। या इसे कहें तो इसी दिन पहले भारतीय जनरल ने भारतीय सेना की कमान संभाली। जनरल केएम करियप्पा (बाद में फील्ड मार्शल) ने 1949 में भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला।

स्वतंत्रता के बाद सेना के पहले दो प्रमुख ब्रिटिश थे। करियप्पा ने अंतिम ब्रिटिश कमांडर जनरल सर फ्रांसिस रॉबर्ट रॉय बुचर की जगह ली जिन्होंने 1 जनवरी, 1948 से 15 जनवरी 1949 तक शीर्ष स्थान पर अपनी सेवाएं दीं। बुचेर के पूर्ववर्ती जनरल सर रॉबर्ट मैकग्रेगर मैकडोनाल्ड लॉकर ने 15 अगस्त, 1947 से 31 दिसंबर तक सेना प्रमुख के रूप में कार्य किया था।

जानें किन तीन सैन्य अधिकारियों ने पांच सितारा रैंक धारण किया है-

करियप्पा, जो किपर के नाम से जाने जाते थे, केवल 49 वर्ष के थे, जब उन्होंने सेना की कमान संभाली थी। उन्होंने पूरे चार वर्षों तक सेना प्रमुख के रूप में कार्य किया, 16 जनवरी, 1953 को सेवानिवृत्त हुए।

विभाजन के दौरान, उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सेना के विभाजन के लिए सौहार्दपूर्ण समझौता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह उस समय फोर्सेस रिकंस्ट्रक्शन कमेटी की सेना की उप-समिति के सदस्य भी थे।

अपनी विशिष्ट सैन्य सेवा के लिए उन्हें अप्रैल 1986 में फील्ड मार्शल के पांच-स्टार रैंक तक बढ़ा दिया गया था। आपको बता दें कि केवल तीन सैन्य अधिकारियों ने पांच सितारा रैंक धारण किया है: करियप्पा, भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह और फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ।

जानें सेना दिवस के बारे में 5 अहम व जरूरी बातें-

1. दिल्ली छावनी के परेड ग्राउंड में आयोजित सेना दिवस परेड समारोह के मुख्य आकर्षण में से एक है। सेना प्रमुख सलामी लेते हैं और जनरल ऑफिसर कमांडिंग, मुख्यालय दिल्ली क्षेत्र के नेतृत्व में परेड का निरीक्षण करते हैं। अन्य दो सेना प्रमुख भी हर साल परेड में शामिल होते हैं और सलामी लेते हैं। यह परेड भी गणतंत्र दिवस परेड का एक हिस्सा है।

2. तीन सेवा प्रमुखों के अलावा, भारत के पहले रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत भी इस वर्ष परेड में शामिल हो सकते हैं। रावत ने 31 दिसंबर 2019 को सीडीएस के रूप में कार्यभार संभाला। वह सैन्य मामलों के विभाग के प्रमुख हैं और त्रि-सेवाओं से संबंधित सभी मामलों पर रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार भी हैं।

3. परेड ग्राउंड दिल्ली के सबसे बड़े मैदानों में से एक है। इसका नाम फील्ड मार्शल के सम्मान में दिसंबर 1953 में करियप्पा के नाम पर रखा गया था। करिअप्पा परेड ग्राउंड हर साल कई समारोह आयोजित करता है, जिसमें सेना दिवस परेड में सबसे पहले नंबर पर है।

4. सेना प्रमुख ऑपरेशनों के दौरान उत्कृष्ट और निरंतर प्रदर्शन के लिए विभिन्न बटालियनों को सैनिकों और यूनिट के उद्धरणों के लिए वीरता पुरस्कार प्रदान करते हैं और शांति पुरस्कार भी देते हैं।

5. प्रति वर्ष सेना दिवस परेड में परमवीर चक्र और अशोक चक्र (क्रमशः सर्वोच्च वीरता और पीकटाइम वीरता पुरस्कार) के प्राप्तकर्ता भाग लेते हैं। 

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