Patanjali Advertisements Case: बाबा रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण ने आज सुप्रीम कोर्ट में दवाइयों के भ्रामक विज्ञापनों और कोविड इलाज के दावों के संबंध में को लेकर सार्वजनिक माफी मांगने की इच्छा जाहिर की। सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव ने कहा कि उनकी मंशा अदालत का अनादर करने का कोई इरादा नहीं है।
अपने बचाव करते हुए रामदेव ने कहा कि उनकी कंपनी आयुर्वेद को विज्ञान-आधारित चिकित्सा के स्तर पर ले आई है। तभी, बाबा रामदेव को जवाब देते हुए मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने कहा, "आप यह कैसे कह सकते हैं कि किसी विशेष बीमारी को केवल आयुर्वेद के माध्यम से ठीक किया जा सकता है? एक पत्र जारी किए जाने के तुरंत बाद आप चिकित्सा की अन्य प्रणालियों को कैसे अपमानित कर सकते हैं कि इस तरह का कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया जाएगा"।
मामले की सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह की बेंच कर रही है। सुनवाई में जस्टिस ने बाबा रामदेव से कहा कि आपकी बहुत गरिमा है और आपने समाज के लिए काफी कुछ किया है। इसके साथ ही जस्टिस ने ये भी कहा कि बिजनेस भी शुरू किया, जो अच्छी बात है।
बाबा रामदेव ने कोर्ट में जस्टिस के समक्ष कहा कि उनकी कोई ऐसी मंशा नहीं थी और बताया कि उनकी फर्म पतंजलि ने 5,000 से अधिक प्रक्रियाओं पर शोध किया है। कोर्ट ने योग गुरु को उनके रवैये पर फटकार लगाते हुए कहा कि समन आपको इसलिए जारी किया गया था क्योंकि आपने हमारे आदेश की अवहेलना की।
अगली तारीख कब की मुकर्ररकोर्ट ने पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव और बालकृष्ण को फटकार लगाई और हरिद्वार स्थित कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए उत्तराखंड सरकार की भी खिंचाई की। अदालत ने रामदेव और बालकृष्ण दोनों को 23 अप्रैल को सुनवाई की अगली तारीख पर उपस्थित होने का निर्देश दिया है।