राहुल शर्मा, नई दिल्लीः दिल्ली में वर्ष 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी (पूर्व प्रधानमंत्री) ने जनता पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़कर नई दिल्ली सीट से विजय पाई थी, उसके बाद भारतीय जनता पार्टी बनने पर इंदिरा गांधी के दौर में भाजपा को 1984 के चुनाव में दिल्ली में किसी भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई, लेकिन समय बदला और भाजपा के चार प्रत्याशियों ने जीत हासिल कर 1989 में पार्टी को को मजबूती प्रदान की और भाजपा के सात में से चार सांसद विजयी रहे। इस बीच 2004 के लोकसभा चुनाव में मात्र एक ही सीट पर जीत पाकर भाजपा को तसल्ली करनी पड़ी और 2009 के चुनाव में सातों लोकसभा सीट हाथ से निकल गईं। मगर भाजपा ने पुनः 2014 के लोकसभा चुनाव में 7 सीटों जीतकर अपनी खोई हुई जमीन पर वापस पैर जमा लिए और इस क्रम को 2019 में भी सातों सीटों पर सिलसिला जारी रखा।
जीत का सिलसिला 1989 के लोकसभा चुनाव के साथ शुरू हुआ था
इस बार भाजपा का मुकाबला दिल्ली में आप और कांग्रेस के गठबंधन के चलते मैदान में उतरे प्रत्याशियों से है, वहीं भाजपा के एक सांसद प्रत्याशी को छोड़कर बाकी छह चेहरे चुनावी मैदान में नये उतारे गए हैं, जिनके लिए सातों सीटों पर जीत बरकरार रखने की चुनौती आसान नहीं होगी। दिल्ली में भाजपा प्रत्याशियों की जीत का सिलसिला 1989 के लोकसभा चुनाव के साथ शुरू हुआ था।
उस दौरान सात में से चार भाजपा के दिग्गज नेता और प्रत्याशी लालकृष्ण आडवाणी, मदन लाल खुराना, विजय कुमार मल्होत्रा और कालका दास सांसद बने। 1991 के लोकसभा चुनाव में लाल कृष्ण आडवाणी, मदन लाल खुराना, कालका दास के साथ ताराचंद खंडेलवाल और बीएल शर्मा प्रेम ने जीत पाई। इस तरह सात में से पांच प्रत्याशी भाजपा के विजयी रहे।
वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पुनः पांच सीटों पर विजयी रही
वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पुनः पांच सीटों पर विजयी रही। इनमें जगमोहन, कृष्ण लाल शर्मा, सुषमा स्वराज, बीएल शर्मा प्रेम और विजय गोयल सांसद बने। 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में दिल्ली में भाजपा सात में से छह सीटों पर विजयी रही। इनमें मदन लाल खुराना, जगमोहन, कृष्ण लाल शर्मा, सुषमा स्वराज, लाल बिहारी तिवारी और विजय गोयल सांसद बने।
विजय कुमार मल्होत्रा अकेले भाजपा प्रत्याशी जीत पाने में सफल रहे
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले कार्यकाल में 1999 में पहली बार दिल्ली में भाजपा के सातों सांसद विजयी रहे। इनमें मदन लाल खुराना, विजय कुमार मल्होत्रा, जगमोहन, साहिब सिंह वर्मा, विजय गोयल, लाल बिहारी तिवारी और अनीता आर्या शामिल रहे। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में ऐसा दौर भी आया कि जब केवल विजय कुमार मल्होत्रा अकेले भाजपा प्रत्याशी जीत पाने में सफल रहे।
बाकी छह सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथ एक सीट भी नहीं आ सकी, लेकिन समय बदला और मोदी युग में दिल्ली में भाजपा की सियासी जमीन एक बार फिर से मजबूत हो गई।
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सातों सांसद लगातार विजयी रहे हैं। दिल्ली में भाजपा इस क्रम को जारी रखने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी और देखने वाली बात है कि सातों सीटों पर विजयी होकर भाजपा सांसदों की हैट्रिक बन पाएगी या नहीं।