दक्षिण सिनेमा के दिग्गज स्टार रजनीकांत को 51वां दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दिया जाएगा। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी घोषणा की है।
उन्होंने एक ट्वीट कर कहा, 'हमें इस बात की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भारतीय सिनेमा के सबसे महान अभिनेताओं में से एक रजनीकांत जी को दिया जाएगा। एक अभिनेता, प्रोड्यूसर और स्क्रिनराइटर के तौर पर भी उनका योगदान बेहद अहम है।'
रजनीकांत ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1975 में के बालाचंदर की 'अपूर्वा रागनपाल' से की थी। वे आखिरी बार एआर मुरुगाडोसे की फिल्म 'दरबार' में नजर आए थे।
इसके अलावा उन्होंने बिल्लू, मुथु बाशा, शिवाजी जैसी सुपरहिट फिल्में दी। अपने कई शुरुआती फिल्मों में विलेन की भूमिका में नजर आने रजनीकांत 1978 में आई 'भैरवी' से सुपरस्टार बन गए।
दक्षिण के अलावा हिंदी फिल्मों में भी रजनीकांत नजर आए हैं। उन्होंने 'अंधा कानून' से हिंदी फिल्मों में डेब्यू किया और अपने खास सिग्नेर स्टाइल से लोगों के दिल में अपनी जगह बनाई।
बता दें कि दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड में से एक है। इस साल रजनीकांत के नाम चयन करने वाले ज्यूरी में आशा भोंसले, मोहनलाल, विश्वजीत चटर्जी, शंकर महादेवन, सुभाष घई शामिल थे।
इससे पहले 2018 में अमिताभ बच्चन और 2017 में विनोद खन्ना को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड दिया गया था। रजनीकांत पिछले साल राजनीति में भी कदम रखने के संकेत दे रहे थे। हालांकि दिसंबर में खराब तबीयक के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी लॉन्च करने की संभावनाओं से इनकार कर दिया था।