नवरात्र के अंतिम दिन समस्त साधनाओं को सिद्ध एवं पूर्ण करने वाली तथा अष्टसिद्धि नौ निधियों को प्रदान करने वाली भगवती दुर्गा के नौवें रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना का विधान है। देवी भगवती के अनुसार भगवान शिव ने मां की इसी शक्ति की उपासना करके सिद्धियां प्राप्त की थीं। इसके प्रभाव से भगवान का आधा शरीर स्त्री का हो गया था। उसी समय से भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर कहा जाने लगा है। वैदिक पौराणिक तथा तांत्रिक किसी भी प्रकार की साधना में सफलता प्राप्त करने के पहले मां सिद्धिदात्री की उपासना अनिवार्य है।