Gudi Padwa 2024: गुड़ी पड़वा कब, कैसे और क्यों मनाते हैं लोग? जानें क्या है परंपरा और महत्व
By रुस्तम राणा | Published: April 6, 2024 03:11 PM2024-04-06T15:11:42+5:302024-04-06T15:11:42+5:30
Gudi Padwa 2024: ऐसा माना जाता है कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने गुड़ी पड़वा के दिन ब्रह्मांड का निर्माण किया था और दिन, महीने और साल की शुरुआत की थी।
Gudi Padwa 2024: गुड़ी पड़वा, जिसे संवत्सर पड़वो के नाम से भी जाना जाता है, महाराष्ट्र में नए साल या फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। देश भर में मराठी और कोंकणी चैत्र माह के पहले दिन गुड़ी पड़वा को बहुत उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। सरल शब्दों में कहें तो मराठी नववर्ष का नाम दो शब्दों - 'गुड़ी' और 'पड़वा' से मिला है। यहां गुड़ी का अर्थ है हिंदू भगवान ब्रह्मा का ध्वज या प्रतीक है। पड़वा का अर्थ है चंद्रमा के चरण का पहला दिन है।
गुड़ी पड़वा 2024: शुभ मुहूर्त
गुड़ी पड़वा की प्रतिपदा तिथि 08 अप्रैल 2024 को रात 11:50 बजे से शुरू होगी और प्रतिपदा तिथि 09 अप्रैल 2024 को शाम 08:30 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के हिसाब से गुड़ी पड़वा का पर्व 9 अप्रैल को ही मनाया जाएगा।
गुड़ी पड़वा 2024: धार्मिक मान्यता
ऐसा माना जाता है कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने गुड़ी पड़वा के दिन ब्रह्मांड का निर्माण किया था और दिन, महीने और साल की शुरुआत की थी। कुछ लोग इसे वह दिन भी मानते हैं जब राजा शालिवाहन ने अपनी जीत का जश्न मनाया था और लोगों ने उनके पैठन लौटने पर झंडा फहराया था। मूलतः गुड़ी को बुराई पर विजय का प्रतीक कहा जाता है।
गुड़ी पड़वा 2024: कैसे मनाएं?
गुड़ी पड़वा पर, दिन की शुरुआत तेल स्नान से होती है और कुछ अनोखी प्रार्थनाओं के साथ समाप्त होती है। नीम की पत्तियों का सेवन श्रद्धालु गुड़ या अन्य बीजों के साथ भी करते हैं। भक्त तेल से स्नान करने के बाद अपने घरों को रंगोली और अन्य वसंत-थीम वाली सजावट से सजाते हैं। इसके बाद, कुछ पारंपरिक प्रथाएँ की जाती हैं, जैसे भगवान ब्रह्मा की पूजा के लिए एक शुभ पूजा और भगवान विष्णु और उनके विभिन्न अवतारों की प्रार्थना के लिए हवन।
दूसरी ओर, महाराष्ट्र की महिलाएं अपने घरों में सुंदर "गुड़ी" बनाकर और उनकी पूजा करके इस दिन को मनाती हैं। गुड़ी मूलतः एक ध्वज है, जो चांदी या तांबे के उल्टे बर्तन से बना होता है, जिसे पीले कपड़े से सजाया जाता है और बांस के डंडे के ऊपर स्थापित किया जाता है। भक्तों का मानना है कि गुड़ी सौभाग्य प्रदान करती है और परिवारों को सभी नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाती है। पूजा पूरी होने के बाद प्रसाद के साथ चने की दाल, शहद और जीरा बांटा जाता है।