भारतीय सेना दुश्मन को धूल चटाने के साथ ही जरूरतमंदों की मदद करने में हमेशा तत्पर और एक एकदम आगे ही रहती है। तभी तो इन्हें देवदूत भी कहा जाता है। दुर्गम परिस्थितियों में भी हमेशा देश के लिए मर मिटने वाले इन देवदूतों के लिए कहना गलत नहीं होगा कि जज्बा हो तो सौ बाधाएं भी बौनी साबित हो जाती हैं। विश्वास और हौसलों की उड़ान दम भरती है तो मुश्किल परिस्थियां नतमस्तक हो जाती हैं। जी हां, कुछ इसी तरह का कारनामा दिखा है कश्मीर के कुपवाड़ा में। मुश्किल से मुश्किल घड़ी में सेना मदद के प्रयास से पीछे नहीं हटती है। घाटी में भारतीय सेना के जवानों ने एक परिवार की मदद कर इस परंपरा को जारी रखा है। कश्मीर के कुपवाड़ा में सेना के जवानों ने देवदूत बनकर जच्चा-बच्चा को भारी बर्फबारी में उनके घर तक पहुंचाया। जवानों द्वारा की गई मदद से भावुक होकर नवजात के पिता ने उन्हें धन्यवाद दिया। भारतीय सेना की इस दरियादिली का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स इस वीडियो को शेयर करने के साथ ही भारतीय सेना के इन जवानों की हिम्मत को सलाम करते नहीं थक रहे हैं। अब बात करते हैं उस मंजर की जहां सेना नहीं होती तो जच्चा-बच्चा के साथ कुछ अनिष्ट हो सकता था। भारी बर्फबारी के बीच सेना के पास मदद के लिए फोन आया। फोन करने वाले ने बताया कि उसकी पत्नी और नवजात बर्फ के तूफान में फंस गए हैं। आनन-फानन में घुटने तक बर्फ के बीच सेना के जवानों ने मां और नवजात को लगभग छह किलोमीटर पैदल चल सुरक्षित रूप से लोलाब के सुदूर इलाके में उनके घर तक पहुंचाया। बता दें कि सेना की 28-राष्ट्रीय राइफल्स के पास दारदपुरा लोलाब के रहने वाले फारूक खसाना ने फोन कर मदद मांगी। फारूक ने बताया कि भारी बर्फबारी के कारण सभी सड़कों पर यातायात बाधित है। उसकी पत्नी और नवजात बच्चा बर्फबारी में फंस गए हैं। सूचना मिलते ही बटालियन के जवान फारूक की मदद के लिए निकल पड़े। जवानों ने जच्चा-बच्चा को घुटने तक गहरी बर्फ में लगभग छह किलोमीटर तक लादकर सुरक्षित रूप से उनके घर तक पहुंचाया। सेना के जवानों द्वारा की गई मदद से भावुक होकर नवजात के पिता ने पूरे परिवार की तरफ से धन्यवाद दिया।