‘यूनिसेफ फोटो ऑफ द ईयर’ के विजेताओं की घोषणा हो गई है। इस कंटेस्ट में दो भारतीयों को पहला और दूसरा स्थान मिला है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ हर साल बच्चों के मसलों से जुड़े तीन सर्वश्रेष्ठ फोटोग्राफ को सम्मानित करती है। इस साल इसमें दो भारतीय और अन्य देश के फोटोग्राफ को यह सम्मान मिला है। ‘यूनिसेफ फोटो ऑफ द ईयर’ के पहले विनर सुप्रतिम भट्टाचार्जी हैं तो वहीं दूसरा सम्मान सौरभ दास को मिला है। इन दोनों ने अपने फोटोग्राफी में दो अलग-अलग जिंदगियों को दर्शाया है जिसकी विदेश में खूब तारीफ हुई और इन्हें इस प्राइज से नवाजा गया है। इन तीनों विजेताओं के अलावा जूरे ने और भी फोटोग्राफरों की भी खूब सराहना की है।
इस काम से इन्हें मिला है प्राइज
‘यूनिसेफ फोटो ऑफ द ईयर’ में पहला स्थान प्राप्त करने वाले सुप्रतिम भट्टाचार्जी को उनके अनोखे फोटोग्राफी के लिए यह सम्मान मिला है। सुप्रतिम भट्टाचार्जी ने अपनी फोटोग्राफी में नामखाना द्वीप पर रहने वाली 12 साल की पल्लवी पडुया और उसके परिवार के दास्तां को बयान किया है। 2020 में आए एक चक्रवात के बाद पल्लवी द्व्रारा चलाए जाने वाला चाय का स्टॉल बह गया था। इसके बाद उनकी जिंदगी ही बदल गई और उनके इसी दर्द को सुप्रतिम भट्टाचार्जी ने अपने कैमरे में कैद किया है। फोटोग्राफी में यह देखा गया है कि कैसे पल्लवी पानी के लहरें में खड़ी होकर अपने हालात को बयान कर रही है। जूरी को यह फोटोग्राफी काफी पसंद आई और सुप्रतिम भट्टाचार्जी को उनके अनोखे कहानी के साथ उनकी फोटोग्राफी ने भी खूब मोहित किया है।
सौरभ दास ने यूं बयान किया दीप नारायण नायक के ज़ज्बे को
सौरभ दास ने ‘यूनिसेफ फोटो ऑफ द ईयर’ में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने अपनी फोटोग्राफी में भारतीय टीचर दीप नारायण नायक के ज़ज्बे को दिखाया है। सौरभ ने अपने फोटोग्राफी में यह दिखाया कि कैसे दीप ने गरीब गांव के बच्चों के लिए पढ़ाई को आसान बना दिया। उसने यह भी दिखाया कि कैसे दीप ने कोरोना काल के समय बच्चों को टेक्नॉलॉजी के जरिए जोड़ा और गांव के लोगों की जिंदगी ही बदल गई। सौरभ को इसी स्टोरी को कवर करने पर उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया है।