लखनऊ: अयोध्या, काशी और मथुरा की तरह ही प्रयागराज (इलाहाबाद) संसदीय सीट भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण संसदीय सीट है। पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इस सीट से चुनाव लड़ रहे पार्टी उम्मीदवार नीरज त्रिपाठी को हर हाल में जीतता हुआ देखना चाहते हैं। नीरज त्रिपाठी भाजपा के दिग्गज नेता रहे केसरी नाथ त्रिपाठी के पुत्र हैं और उन्हें भाजपा ने सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी का टिकट काटकर पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने इस सीट से करछना से दो बार समाजवादी पार्टी (सपा) से विधायक रह चुके उज्जवल रमण सिंह पर दांव लगाया है।
उज्ज्वल के पिता कुंवर रेवती रमण सिंह ने इस सीट पर दो बार सांसद रहे हैं। ऐसे में इस सीट पर विरासत की जंग हो रही है। कहा जा रहा है कि इस जंग में इलाहाबाद के जमुना पार इलाके के 84 गांव के मतदाता जिससे पक्ष में खड़े होंगे वही चुनाव जीतेगा। प्रयागराज (इलाहाबाद) संसदीय सीट देश की बेहद ही अहम सीट है। इसी सीट ने लालबहादुर शास्त्री को अपना नेता चुना। प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की यह कर्मभूमि रही है।
डॉ. मुरली मनोहर जोशी लगातार तीन मर्तबा इलाहाबाद के सांसद रहे। वर्ष 2014 से यह सीट भाजपा के पास है। इस संसदीय क्षेत्र में जमुना पार के मतदाता को राजनीतिक तौर पर पूरी तरह से जगे हुए माना जाता है। इसी जमुना पार के इलाके में ब्राह्मणों के 84 गांव हैं। जिनमें ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या तीन लाख से अधिक है। राजनीतिक जानकारों का यह दावा है कि जमुना पार के यह मतदाता हर चुनाव में यह तय करते हैं कि इस संसदीय सीट से जीतेगा कौन?
इस बार इस संसदीय सीट से चुनाव लड़ने वाले भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार और उनके परिवार से यहां के लोग भलीभांति परिचित हैं। दोनों उम्मीदवारों के परिवार ने यहां के लोगों की खूब मदद की है। कांग्रेस उम्मीदवार उज्जवल रमण सपा सरकार में परिवहन मंत्री थे। करीब पांच दशकों से उनका परिवार इलाहाबाद में राजनीतिक तौर पर सक्रिय हैं और इस परिवार की पकड़ जमुनापार के ब्राह्मण और भूमिहारों के गावों में खासी गहरी है।
जमुनापार के परानीपुर, कुंवर पट्टी, मदरा, रयपुरा, सोरांव, दिघिया, बामपुर, भवानीपुर, चटकहना, समोगरा सहित ब्राह्मणों के 84 गावों और खाई, मुंडा, अंतहिया, बसही, मीरपुर, मवइया, अक्ता स्समेत भूमिहारों के दो दर्जन से अधिक गांवों ने कुंवर रेवती रमण सिंह की जीत में अहम रोल अदा किया था।
इसी प्रकार नीरज त्रिपाठी के पिता केसरी नाथ भी इस शहर की एक नामी हस्ती थे। नीरज की राजनीतिक पहचान उनके पिता केसरी नाथ त्रिपाठी के पुत्र के तौर पर अधिक है। केसरी नाथ यूपी विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं। वह बिहार और बंगाल के राज्यपाल भी रहे थे। नीरज को शहर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बतौर वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर ही लोग जानते रहे हैं। पहली बार चुनाव लड़ रहे नीरज इलाहाबाद की राजनीति में कभी सक्रिय नहीं रहे, इस वजह से उन्हें उज्जवल रमण सिंह के समक्ष कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है।
बसपा ने रमेश पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है, लेकिन वह यहां कोई प्रभाव छोड़ पाने में अभी तक सफल नहीं हुए हैं। 25 मई को इस सीट पर मतदान होना है। फिलहाल इस सीट पर मुकाबला कांटे का है। उज्जवल रमण सिंह और नीरज के बीच ही चुनावी जंग सिमटी हुई है। कहा जा रहा है कि इस सीट के विधानसभा क्षेत्र कोरांव में भाजपा तो करछना में कांग्रेस ज्यादा मजबूत है, जबकि मेजा और बारा में दोनों के बीच कांटे की टक्कर है। ऐसे में जमुना पार के ब्राह्मणों की नजर इनायत जिसकी तरफ होगी, उसकी चुनावी नैया पार हो जाएगी। फिलहाल इस क्षेत्र का ब्राह्मण चुप्पी साधे हुए है।
सीट का जातीय समीकरण :
कुल मतदाता : 18,25,730 ब्राह्मण : 5 लाखएससी : 3 लाखपटेल : 2 लाख यादव : 2 लाख मुस्लिम : 1.25 लाख निषाद : 1.25 लाख ठाकुर : 55 हजार एसटी : 50 हजार