झाड़ग्राम: तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी ने 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और आरोप लगाया कि अदालत का फैसला आरक्षण रद्द करने के भाजपा के प्रयासों का हिस्सा है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार अभिषेक बनर्जी ने बीजेपी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "कलकत्ता हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म कर दिया। उन्होंने सभी जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिए हैं। वे सत्ता में आने से पहले अपना असली रंग दिखा रहे हैं, अगर वे आएंगे तो क्या होगा।"
उन्होंने आगे कहा, "कुर्मी, आदिवासी, मुंडा, ओरांव, संथाल और अन्य लोगों को याद रखना चाहिए कि बीजेपी को वोट देने का मतलब है कि वे अपने अधिकारों से वंचित हो जाएंगे।"
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी। उन्होंने कहा, "ओबीसी आरक्षण जारी है और हमेशा जारी रहेगा।"
ममता बनर्जी ने दमदम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत खरदाह में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, "आज भी मैंने एक जज को एक आदेश पारित करते हुए सुना, जो बहुत प्रसिद्ध रहे हैं। प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि अल्पसंख्यक तपशीली आरक्षण छीन लेंगे, क्या ऐसा कभी हो सकता है? तपशीली या आदिवासी आरक्षण को अल्पसंख्यक कभी छू नहीं सकते, लेकिन ये शरारती लोग हैं। बीजेपी अपना काम एजेंसियों के माध्यम से करवाएं, उन्हें किसी के माध्यम से आदेश मिला है लेकिन मैं इस राय को स्वीकार नहीं करूंगा।"
सीएम बनर्जी ने आगे कहा, "...जिन्होंने आदेश दिया है उन्हें इसे अपने पास रखना चाहिए, हम बीजेपी की राय को स्वीकार नहीं करेंगे, ओबीसी आरक्षण जारी है और हमेशा जारी रहेगा।”
मालूम हो कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीते बुधवार को 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द कर दिए हैं। अदालत ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग को 1993 अधिनियम के तहत ओबीसी की एक नई सूची तैयार करने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार जो लोग 2010 से पहले ओबीसी सूची में थे, वे बने रहेंगे। हालांकि, 2010 के बाद ओबीसी के प्रमाण पत्रों को कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया है।
कोर्ट के इस फैसले से करीब 5 लाख ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द हो जाएंगे। 2010 के बाद जिन लोगों के पास ओबीसी कोटे के तहत नौकरियां हैं या मिलने की प्रक्रिया में हैं, उन्हें कोटे से बाहर नहीं किया जा सकता और उनकी नौकरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।