आज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन पार्वतीजी के पूजन का विधान होता है। सावन में बारिश से सारा परिवेश हरा भरा हो जाता है। इसलिए इस पर्व को हरियाली तीज कहते है और तृतीया तिथि की स्वामी माता गौरी होती हैं। इसलिए इसको गौरी तीज या कजली तीज भी कहा जाता हैं। उज्जैन के पंडित मनीष शर्मा के अनुसार जिस स्त्री का विवाह के पश्चात प्रथम सावन आया हो उसे ससुराल में नहीं रखा जाता। इस दिन पकवान बनावकर बेटियों को सिंघारा भेजने का विधान है। ससुराल में भी नई वधुओं को वस्त्र, गहने आदि दिए जाते हैं। इसके पश्चात वह मायके आ जाती है एवं नए वस्त्र, गहनों आदि से सुसज्जित हो अपनी सहेलियों के साथ उत्सव मनाती है।