राजनीति में कोई दोस्त नहीं होती है और न ही कोई दुश्मन होती है और इस बात का अंदाजा तब होता है, जब सत्ता पर संकट के बादल मंडरा रहे हों। उद्धव ठाकरे ने कभी सपने में नहीं सोचा होगा कि कोई शख्स उनके खिलाफ बगावत करने के लिए उनके पिता बाल ठाकरे को ढाल की तरह इस्तेमाल करेगा। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक चुके एकनाथ शिंदे मंगलवार की देर रात गुजरात के सूरत से असम पहुंच गये। एकनाथ शिंदे की स्पष्ट मांग है कि उद्धव ठाकरे कांग्रेस और एनसीपी का साथ छोड़ें और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना लें। देश की राजनीति के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई विधायक अपने पार्टी से महज इसलिए बगावत कर रहा है ताकि वो अपने नेता के साथ किसी और पार्टी के साथ सटरी बैठा सके।शिवसेना का आरोप है कि भाजपा कर्नाटक और मध्य प्रदेश की तर्ज पर महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस चलाकर सत्ता पर काबिज होना चाहती है। शिवसेना का आरोप है कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सत्ता गिराने के लिए जो चाल चली थी, ठीक उसी तरह वो यहां भी एकनाथ शिंदे के कंधे पर रखकर बंदूक चला रही है। लेकिन शिवसेना भाजपा के मंसूबे को कामयाब नहीं होने देगी।