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माघ महीना क्यों माना जाता है 'पवित्र', जानिए शास्त्रीय महत्त्व

By धीरज पाल | Published: January 04, 2018 7:39 PM

माघ मेले के दौरान संगम तट तंबूओं, शिविरों और पंडालों से सज जाता है। दुनिया के कोने-कोने में मौजूद साधु-संतों का जमावड़ा लगने लगता है।

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जनवरी शुरू होते ही देश की तमाम पवित्र नदियों के तट पर साधु-संतों, कल्पवासियों और भक्तों का जमावड़ा लगने लगता है क्योंकि जनवरी के शुरुआत में  माघ महीना भी शुरु हो जाता है। हिंदू धर्म में माघ महीना पवित्र माना जाता है। माघ शुरू होते ही इलाहाबाद के संगम तट पर सबसे विशाल माघ मेले का आयोजन किया जाता है। जहां गंगा, यमूना का मिलन होता है। इस दौरान संगम तट के इलाके तंबूओं, शिविरों और पंडालों से सज जाते हैं। दुनिया के कोने-कोने में मौजूद साधु-संतों का जमावड़ा लगने लगता है।

साथ ही एक महीना कल्पवास करने वाले कल्पवासी भी शिविर में इकठ्ठा होने लगते हैं। एक महीने तक संगम नगरी देव लोक में तब्दील हो जाती है। सुबह-शाम पंडालों से साधु-संतों के प्रवचन और भजन सुनाई देते हैं।

माघ महीना क्यों माना जाता है 'पवित्र' 

हिंदू धर्म में माघ महीने का विशेष महत्व है। यह महीना दान-पुण्य, कर्म-धर्म और त्याग का महीना माना जाता है। मघा नक्षत्र के नाम पर इस महीने का नाम माघ पड़ा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह महीना 11वां महीना होता है। माना जाता है कि इस महीने में मनुष्य को एक बार पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। 

माघ में काले तिल का करें दान 

माघ महीने में षटतिला एकादशी आती है। इस दिन जल में तिल डालकर स्नान करने की परंपरा होती है। साथ ही इस दिन काले तिल की बनी हुई सामग्री को दान किया जाता है। काले तिल के दान से पापों का नाश होता है, ऐसी मान्यता हिन्दू धर्म में प्रचलित है। 

एक महीने का कल्पवास 

माघ शुरु होते ही संगम तट पर कल्पवासी पूरे एक महीने शिविरों में निवास करते हैं। पौष पूर्णिमा के पहले दिन दूर-दूर से आए लाखों कल्पवासी तुलसी का बिरवा और जौ बो कर एक महीने तप का संकल्प लेते हैं। यह कार्य सुख और शांति पाने के लिए किया जाता है। कल्पवास करने आए कल्पवासी एक दिन में एक बार भोजन और एक बार फलाहार लेते हैं। सुबह और शाम गंगा स्नान, तीन वक्त संध्या और सिर्फ हरिभजन करते हैं। यह प्रक्रिया पूरे महीने भर चलती है।  

साल 2018 में माघ के मुख्य स्नान

2 जनवरी - पौष पूर्णिमा 14 जनवरी - मकर संक्रांति 16 जनवरी - मौनी आमावस्या 22 जनवरी - बसंत पंचमी31 जनवरी - माघी पूर्णिमा 13 फरवरी - महा शिवरात्रि

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