हज़रत अली का जन्मदिन इस्लामी महीने रजब (इस्लामिक कैलंडर का सातवां महीना) की 13 तारीख को मनाया जाता है। इस बार यह तारीख 30 मार्च को पड़ रही है। यह दिन हर साल हज़रत अली और उनके कार्यों को याद करने के लिए उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ एकत्रित होकर नमाज़ अदा करते हैं और कुरान पढ़ते हैं। अली की पैदाइश अल्लाह के घर पवित्र काबे शरीफ मे हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि उनकी मां उनकी पैदाइश के पहले जब काबे शरीफ के पास गई, तो अल्लाह के हुक्म से काबे की दीवार ने मां को रास्ता दे दिया था।
हज़रत अली इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद थे। उनका पूरा नाम अली इब्ने अबी तालिब था। उनका जन्म मुसलमानों के पवित्र स्थल काबे के अंदर हुआ। अली के साथ-साथ उनका पूरा परिवार नेक-दिली के लिए जाना जाता है। वो बहुत ही उदार भाव रखने वाले व्यक्ति थे। अपने कार्यों, साहस, विश्वास और दृढ संकल्प होने के कारण मुस्लिम संस्कृति में हजरत अली को बहुत ही सम्मान के साथ जाना जाता है। अपने पूरे जीवनकाल में वो इस्लामी लोगों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बने और इस्लाम धर्म के इतिहास में उनका नाम आज भी बहुत ही माना और याद किया जाता है।
ये हैं प्रेरणास्त्रोत वचन -
1) ज़िल्लत उठाने से बेहतर है तकलीफ उठाओ।
3) भाई सोना है दोस्त हीरा, सोने में दरार आने पर उसे पिघला कर पहले जैसा बनाया जा सकता है, हीरे में एक भी दरार आ जाए, तो वो कभी पहले जैसा नहीं बन सकता।
4) हमेशा समझौता करना सीखो क्योंकि थोड़ा सा झुक जाना किसी रिश्ते का हमेशा के लिए टूट जाने से बेहतर है।
5) नेक लोगों के साथ हमेशा भलाई ही मिलती है क्योंकि हवा जब फूलो से गुज़रती है, तो वो भी खुश्बुदार हो जाती है।
6) किसी की बुराई तलाश करने वाले लोग उस मक्खी के जैसे हैं, जो सारा खूबसूरत जिस्म छोड़ सिर्फ ज़ख्म पर बैठती हैं।
7) जाहिल के सामने अक़्ल की बात मत करो, पहले वो बहस करेगा फिर अपनी हार देखकर दुश्मन हो जाएगा।
8) हमेशा जालिमो का दुश्मन और मज़लूमो का मददगार बन कर रहना।
9) अगर किसी के बारे मे जानना चाहते हो तो पता करो के वह शख्स किसके साथ उठता-बैठता है।
10) अगर दोस्त बनाना तुम्हारी कमज़ोरी है, तो तुम दुनिया के सबसे ताक़तवर इंसान हो।