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भारत में मिला कोरोना का नया वैरिएंट AY.1, जाने कैसा होगा असर

By संदीप दाहिमा | Published: June 16, 2021 4:58 PM

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भारत में कहर बरपा रहे कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) ने एक बार फिर अपना रूप बदल लिया है. यह नया संस्करण B.1.617.2.1 है, जिसे 'AY.1' नाम दिया गया है। यह वेरिएंट अब धीरे-धीरे भारत समेत कई देशों में फैल रहा है।
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CSIR इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के वैज्ञानिकों का कहना है कि AY.1 वेरिएंट में एंटी-इम्यून गुण होते हैं। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया, टीकों और एंटीबॉडी थेरेपी में हस्तक्षेप करके आंशिक या पूरी तरह से रोगजनक हो सकता है।
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दुनिया भर में अब तक इस वेरिएंट के 156 सैंपल लिए जा चुके हैं। इसका पहला नमूना मार्च में यूरोप में मिला था। भारत में सबसे पहले इस वेरिएंट का अप्रैल में अनावरण किया गया था। GISAID पर अपलोड किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अब तक सात नमूने मिल चुके हैं।
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भारत में पाए जाने वाले नमूनों में से तीन तमिलनाडु और बाकी ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के हैं। वायरस के स्पाइक प्रोटीन में AY.1 के इस उत्परिवर्तन की पहचान K417N के रूप में की गई है। यह उत्परिवर्तन ब्राजील में पाए जाने वाले बीटा संस्करण (बी.1.351) में भी होता है।
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IGIB के वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने ट्वीट किया, 'इस बदलते वेरिएंट को समझना बेहद जरूरी है। वायरस बड़ी संख्या में नए उत्परिवर्तन के माध्यम से प्रतिरक्षा प्रणाली को फैलाने और उसकी रक्षा करने की कोशिश कर रहा है। यूके सरकार की एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड भी K417N म्यूटेशन की निगरानी कर रही है। इस वेरिएंट के अब तक कम से कम 35 मामले सामने आ चुके हैं। दो रोगियों को टीके की दोनों खुराकें मिलीं। लेकिन किसी की जान नहीं गई।
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IGIB शोधकर्ताओं के अनुसार, आंकड़े बताते हैं कि पहले से ही AY.1 प्रकार से संक्रमित लोगों के दो अलग-अलग समूह हैं। स्पाइक म्यूटेशन A222V वाला एक छोटा समूह अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया से है। दूसरा समूह बड़ा है, यूके, भारत और नेपाल सहित आठ अन्य देशों में स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन T95I के साथ।
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IGIB के शोधकर्ता बानी जॉली ने एक ट्वीट में कहा, 'बड़े (T95I) क्लस्टर को देखते हुए, ऐसा लगता है कि AY.1 अक्सर स्वतंत्र रूप से उत्पन्न होता है और उन देशों में अधिक फैल सकता है जहां जीनोमिक निगरानी सुविधाएं सीमित हैं।'
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जॉली ने कहा, 'K417N में वायरस विकसित करने की क्षमता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली की रक्षा करने में माहिर हैं। कंसर्न डेल्टा के संस्करण में किसी अन्य उभरते हुए उत्परिवर्तन को देखना महत्वपूर्ण है।' साथ ही, स्कारिया ने कहा, वायरस का यह उत्परिवर्तन मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी में भी हस्तक्षेप कर सकता है।
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नीति आयोग के एक सदस्य डॉ वीके पॉल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'हमें अभी तक इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है और हम इसका अध्ययन कर रहे हैं।' जिसमें भारत के मामले भी शामिल हैं।'
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