नई दिल्ली: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पिछले कुछ वर्षों से लगातार विवादों में रहा है। केंद्र सरकार ने अब इस संगठन पर कार्रवाई करते हुए इसे पांच साल के लिए प्रतिबंधिक कर दिया है। साथ ही पीएफआई के 8 सहयोगी संगठनों पर भी बैन लगाया गया है। केंद्र सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में पीएफआई को 'गौरकानूनी संस्था' बताया गया है। आखिर अपने नोटिफिकेशन में केंद्र सरकार ने पीएफआई को लेकर क्या-क्या बातें कही हैं, जानिए...
- पीएफआई और उसके सहयोगी या सहयोगी या मोर्चे खुले तौर पर एक सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक संगठन के रूप में काम करते हैं, लेकिन वे एक विशेष वर्ग को कट्टरपंथी बनाने के लिए गुप्त एजेंडा चला रहे हैं। यह लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने की दिशा में काम कर रहा है और संवैधानिक प्राधिकार और देश के संवैधानिक ढांचे के प्रति सरासर अनादर है।
- अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआई और उसके सहयोगी या सहयोगी या मोर्चे गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं, जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए नुकसानदायक हैं। इससे देश की सार्वजनिक शांति और सांप्रदायिक सद्भाव के बिगड़ने का खतरा है। इससे देश में उग्रवाद को प्रोत्साहन मिलने की आशंका है।
- नोटिफिकेशन में आगे कहा गया है कि पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के नेता हैं और पीएफआई के जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के साथ संबंध हैं। दोनों संगठन देश में प्रतिबंधित हैं।
- नोटिफिकेशन में कहा गया है कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ PFI के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के कई उदाहरण हैं। अधिसूचना के अनुसार पीएफआई और उसके सहयोगी या मोर्चे देश में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देकर एक समुदाय में कट्टरपंथ को बढ़ाने के लिए गुप्त रूप से काम कर रहे हैं, जिसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि कुछ पीएफआई कैडर अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए हैं।
- नोटिफिकेशन में कहा गया है, 'उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार का दृढ़ मत है कि पीएफआई और उसके सहयोगियों या सहयोगियों या मोर्चों को तत्काल प्रभाव से एक गैरकानूनी संघ के रूप में घोषित करना जरूरी है।'