नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक बेहद महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) विशेष अदालत द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दायर उसकी शिकायत पर संज्ञान ले लेता है तो एजेंसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं कर सकती है।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार देश की सर्वोच्च अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में, जो मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत दर्ज एक आरोपी की हिरासत के विषय में थी। कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए का आरोपी अगर समन पर विशेष कोर्ट के सामने पेश होता है तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका है और ईडी की पीएमएलए की धारा 45 के तहत जमानत के लिए कड़े नियमों की आवश्यकता नहीं है।
पीएमएलए की धारा 45 में कहा गया है कि सरकारी वकील को आरोपी की जमानत अर्जी का विरोध करने का मौका दिया जाना चाहिए। इसके अलावा अदालत को यह आश्वस्त करने की आवश्यकता है कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि आरोपी दोषी नहीं है और जमानत पर रहने के दौरान उसके कोई अपराध करने की संभावना नहीं है। ये स्थितियां आम तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी के लिए जमानत को चुनौतीपूर्ण बना देती हैं।
सुप्राीम कोर्ट में न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा, "अगर आरोपी समन के जरिए विशेष अदालत के समक्ष पेश होता है, तो यह नहीं माना जा सकता कि वह हिरासत में है। इसलिए ऐसे व्यक्ति को पीएमएलए की धारा 45 के तहत जमानत के लिए दोहरी शर्तों को पूरा करने की आवश्यकता नहीं है।"
पीठ ने आगे स्पष्ट किया कि यदि ईडी समन के बाद पेश होने वाले किसी आरोपी की हिरासत मांगती है, तो उसे संबंधित अदालत में आवेदन करना होगा।
कोर्ट ने कहा, “अगर ईडी समन पर पेश होने के बाद आरोपी की हिरासत चाहती है, तो विशेष अदालत में ईडी द्वारा आवेदन के बाद हिरासत दी जा सकती है। अदालत केवल उन कारणों के साथ हिरासत देगी, जिसमें ईडी की ओर से संतोषजनक तर्क दिये गये हों कि हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है।“
सुप्रीम कोर्ट यह फैसला उस मामले से आया है, जिसमें सवाल उठाया गया है कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को जमानत के लिए कड़े दोहरे परीक्षण को पूरा करना होगा, जब विशेष अदालत ने अपराध का संज्ञान ले लिया हो।
सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने जांच की कि क्या ट्रायल कोर्ट द्वारा एजेंसी की शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद ईडी पीएमएलए की धारा 19 के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है।
इसने इस मुद्दे से भी निपटा कि क्या पीएमएलए के तहत जांच अवधि के दौरान गिरफ्तार नहीं किए गए किसी आरोपी को ट्रायल कोर्ट द्वारा समन किए जाने के बाद अदालत में पेश होने पर कड़ी जमानत शर्तों को पूरा करने की आवश्यकता होगी।
अदालत ने इस बात पर भी विचार किया कि क्या आरोपी पीएमएलए के तहत विशेष अदालत द्वारा जारी समन के अनुसार पेश होने पर आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के नियमित प्रावधानों के तहत जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
यह मामला उस समय उठा, जब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक आदेश दिया, जिसमें राजस्व अधिकारियों से जुड़े कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कई आरोपियों को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में आरोपियों को अंतरिम सुरक्षा दी थी। मामले में आरोपियों की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए थे, वहीं सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने ईडी की पैरवी की थी।
उससे पहले नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 45(1) को इस हद तक रद्द कर दिया था कि उसने मनी-लॉन्ड्रिंग आरोपियों को जमानत देने के लिए दो अतिरिक्त शर्तें लगानी आवश्यक नहीं है लेकिन कोर्ट के आदेश को बाद में केंद्र द्वारा पीएमएलए में किये गये संशोधन के साथ रद्द कर दिया गया था।