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कोरोना से ठीक हो चुके दो साल के बच्चे ने वेंटिलेटर पर गुजारे 16 दिन, कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 22, 2022 9:34 PM

कोविड से उबरने के बाद पिछले साल दिसंबर में बच्चे को खांसी की समस्या हुई। उसके बाद उसे तेज बुखार हुआ और सांस संबंधी समस्या होने लगी। मां-बाप बच्चे को द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर में ले गये, जहां उसे दिल का दौरा पड़ गया। बच्चा आईसीयू वार्ड में वेंटिलेटर पर 16 दिनों तक रहा।

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ठळक मुद्देकोरोना से ठीक होने के कुछ ही दिनों के बाद बच्चा एमआईएस-सी’ का शिकार हो गया 'एमआईएस-सी' ऐसी बीमारी है, जिसमें बच्चा शरीर के अंगों को खुद ही नष्ट करना शुरू कर देता हैइस वजह से बच्चे के फेफड़ों, हृदय, मस्तिष्क और गुर्दों सहित कई अंगो को नुकसान पहुंचा था

दिल्ली: कोरोना से ठीक होने के बाद 2 साल के एक बच्चे के कई अंगो ने काम करना बंद कर दिया था। जिसकी वजह से वो मासूम 16 दिनों तक वेंटिलेटर पर भी रहा लेकिन डॉक्टरों के अथक प्रयास से उसकी जिंदगी बच गई और अब वह स्वस्थ्य है।

दरअसल कोविड से उबरने के बाद पिछले साल दिसंबर में बच्चे को खांसी की समस्या हुई। उसके बाद उसे तेज बुखार हुआ और सांस संबंधी समस्या होने लगी। उसके माता-पिता उसे एक स्थानीय अस्पताल ले गए, लेकिन उसकी स्थिति और खराब हो गई।

जब बच्चे की सांस रुकने लगी तो परिवार वाले उसे फौरन द्वारका के निजी अस्पताल में ले गये। द्वारका के आकाश हेल्थकेयर में भर्ती होते ही उसे दिल का दौरा पड़ गया।

इस मामले में आकाश हेल्थकेयर के बाल चिकित्सक डॉक्टर सैयद मुस्तफा हसन ने कहा, ‘‘ अस्पताल पहुंचने के कुछ ही मिनटों के बाद बच्चे को दिल का दौरा पड़ गया। बतौर चिकित्सक मैं इस बात से परेशान था कि बच्चे की उम्र महज दो साल वर्ष की थी। आगे की जांच में पता चला कि बच्चा ‘मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रन’ यानी एमआईएस-सी से पीड़ित था।"

डॉक्टर सैयद मुस्तफा हसन ने आगे कहा, "एमआईएस-सी एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है, जिसमें बच्चा अपने शरीर के कई अंगों को खुद ही नष्ट करना शुरू कर देता है। इसके परिणामस्वरूप उसके फेफड़ों, हृदय, मस्तिष्क और गुर्दों को काफी नुकसान पहुंचा था।’’

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, ‘‘बच्चा मूत्र त्याग नहीं कर पा रहा था, जिसके कारण उसकी स्थिति गंभीर थी। उसे कोविड के बाद स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के कारण बोलने में भी दिक्कत आ रही थी। हमने उसके शरीर से सभी अपशिष्ट बाहर निकालने के लिए ‘कन्टीन्यूअस रीनल रीप्लेसमेंट थैरेपी’ शुरू की, जो लगातार 60 घंटे तक चली। संक्रमण को खत्म करने के लिए हमने साइटोसॉरब डायलिसिस फिल्टर लगाया। उशके साथ ही हमने उसके ब्लड प्रेशर को सामान्य करने की भी कोशिश की।’’

बच्चा बड़ी ही कठिन परिस्थिति में आईसीयू वार्ड में वेंटिलेटर पर 16 दिनों तक रहा। हमारे चिकित्सा विशेषज्ञों के दल ने काफी प्रयास किया, जिससे उसकी हालत में समय के साथ सुधार हुआ और पूरी तरह से ठीक होने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

इस मामले में जानकारी देते हुए बाल रोग नेफ्रोलॉजी में एडवाइजर डॉक्टर नेहा भंडारी ने कहा, ‘‘ यह अत्यंत दुर्लभ बीमारी का मामला था और एक प्रतिशत से भी कम बच्चों को इस प्रकार का संक्रमण देखने को मिलता है।’’

आकाश हेल्थकेयर के बाल रोग एंड नियोनेटोलॉजी विभाग में सलाहकार डॉक्टर समीर पूनिया ने कहा कि बच्चों को दिल का दौरा पड़ना आम बात नहीं है, लेकिन ऐसा हो सकता है। इसलिए सभी बच्चों की चिकित्सक से नियमित जांच कराई जानी चाहिए।

भारत के कई बड़े अस्पतालों में ऐसे मामले सामने आए है, जब कोविड-19 से उबरने के बाद बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है, जो जानलेवा और घातक भी साबित हो सकती हैं।

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