नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने लोकसभा चुनाव से पहले सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से इस्तीफा दे दिया और उनके कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है। बीरेंद्र सिंह ने भाजपा में शामिल होने के लिए 2014 में कांग्रेस से अपना लगभग चार दशक पुराना नाता तोड़ लिया था। उनके बेटे और हिसार से बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं। अब माना जा रहा है कि 9 अप्रैल को बीरेंद्र सिंह भी वापस कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं।
प्रशासनिक अधिकारी से नेता बने बृजेंद्र सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में हिसार सीट पर जीत हासिल की थी। जजपा के दुष्यंत चौटाला और उस समय कांग्रेस में रहे भव्य बिश्नोई को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। बृजेंद्र सिंह, जाट नेता सर छोटू राम के प्रपौत्र हैं। पिछले साल अक्टूबर में बीरेंद्र सिंह ने भाजपा को एक तरह से चेतावनी भरे अंदाज में कहा था कि अगर पार्टी ने जजपा के साथ अपना गठबंधन जारी रखा तो वह पद छोड़ देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि जजपा हरियाणा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त है। वर्ष 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में बहुमत से पीछे रहने के बाद जजपा ने भाजपा को समर्थन दिया था।
मार्च महीने में ही बीरेंद्र सिंह ने साफ कर दिया था कि जब वह कांग्रेस में शामिल होंगे तो उनके साथ हरियाणा के दो मौजूदा विधायक भी कांग्रेस में शामिल होंगे। लेकिन ये विधायक कौन होंगे, इस बारे में बताने से उन्होंने इनकार कर दिया था। जननायक जनता पार्टी (जजपा) से बीरेंद्र सिंह की पुरानी अदावत रही है। बीरेंद्र सिंह कह चुके थे कि यदि भाजपा-जजपा गठबंधन जारी रहा तो वह पार्टी छोड़ देंगे। हालांकि ये गठबंधन अब खत्म हो चुका है लेकिन फिर भी बीरेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़ने का फैसला किया है।
बीरेंद्र सिंह 42 साल तक कांग्रेस में रहे थे। उन्हें राजीव गांधी तथा सोनिया गांधी का समर्थन एवं विश्वास मिला। संप्रग-2 के दौरान केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की कह के पीछे हट जाने से नाराज सिंह ने पार्टी छोड़ दी थी।