Maharajganj seat 2024: लोकसभा चुनाव में छठे चरण के मतदान के लिए गुरुवार की शाम पांच बजे चुनाव प्रचार का भोंपू बजना बंद हो जाएगा। छठे चरण में 25 मई को आठ लोकसभा सीटों वाल्मीकिनगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान और महाराजगंज में मतदान होना है। इसमें महाराजगंज लोकसभा सीट पर जातीय गोलबंदी ने मुकाबले को बेहद रोचक बना दिया है। महाराजगंज में भाजपा प्रत्याशी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी आकाश सिंह के बीच सीधा मुकाबला है। दरअसल, 40 साल बाद महाराजगंज लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी मैदान में है। इसके पहले यहां महागठबंधन की ओर से राजद चुनाव लड़ते आई है। वहीं 10 सालों के बाद यहां से महागठबंधन की ओर से भूमिहार उम्मीदवार मैदान में हैं।
महाराजगंज में क्षत्रिय यानी राजपूत और भूमिहार समाज का दबदबा रहा है। यहां से सांसद भी क्षत्रिय और भूमिहार समाज से चुनाव जीतते आए हैं। 1957 के पहले चुनाव में क्षत्रिय महेंद्र नाथ सिंह को चुनाव जीतने का अवसर मिला तो अगली बार 1962 में भूमिहार समाज के कृष्णकांत सिंह लोकसभा पहुंचे। 2019 तक यही सिलसिला रहा।
अब तक क्षत्रिय समाज के 10 और भूमिहार के तीन सांसद हुए
अब तक क्षत्रिय समाज के 10 और भूमिहार के तीन सांसद हुए। इस बार भी इन्हीं दोनों समाज के प्रत्याशियों के बीच मुख्य मुकाबला है। वहीं 28 वर्ष में पहली बार प्रभुनाथ सिंह के परिवार से कोई प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं है। उल्लेखनीय है कि 2014 से यहां भाजपा के प्रत्याशी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल जीतते आए हैं।
2014 में उन्होंने राजद प्रत्याशी प्रभुनाथ सिंह को हराया था तो वहीं 2019 में प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को मात दी थी। अगर वे इस बार चुनाव जीतते हैं तो अपनी जीत का हैट्रिक लगाएंगे। कांग्रेस ने इस बार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के बेटे आकाश कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। आकाश सिंह भूमिहार जाति से आते हैं।
महाराजगंज में क्षत्रिय और भूमिहार जाति के बीच सीधा मुकाबला
कांग्रेस उम्मीदवार आकाश सिंह के कारण इस बार महाराजगंज में क्षत्रिय और भूमिहार जाति के बीच सीधा मुकाबला देखा जा रहा है। दोनों ओर से जातीय गोलबंदी का प्रयास किया जा रहा है। एनडीए के नेता जहां मोदी मैजिक के भरोसे नैया पार लगाने के चक्कर में हैं तो महागठबंधन के नेता जातीय समीकरण के आधार पर जीत दर्ज करने का प्रयास कर रहे हैं।
महाराजगंज में भूमिहार और राजपूत दोनों जातियों के मतदाता 4-4 लाख से ज्यादा हैं। वहीं ब्राह्मण भी करीब पौने तीन लाख हैं। जबकि करीब ढाई लाख मछुआरा जाति से जुड़ी जातियां हैं। वहीं, यादव भी दो लाख से ज्यादा हैं। कुर्मी, कुशवाहा, एससी-एसटी और वैश्य मतदाता करीब पौने तीन लाख हैं। इसके साथ ही मुस्लिम मतदाता पौने दो लाख के करीब हैं। ऐसे में दोनों ओर से जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए जीत हासिल करने के लिए जोर लगाया जा रहा है। हालांकि, महाराजगंज का महाराजा कौन होगा यह 4 जून को मतगणना के बाद पता चल पाएगा।