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Purvanchal Lok Sabha Elections 2024: पूर्वांचल की 27 सीट पर सियासी जंग, 25 मई और 1 जून को मतदान, जानें 2019 में क्या हुआ, इस बार की संभावना

By राजेंद्र कुमार | Published: May 22, 2024 5:05 PM

Purvanchal Lok Sabha Elections 2024: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए भी पूर्वांचल में सियासी आधार बचाए रखे ही चुनौती है. बीते लोकसभा चुनाव में बसपा को पूर्वांचल में छह सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

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ठळक मुद्देभारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 18 और उसकी सहयोगी अपना दल (एस) को दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी. भाजपा के सामने अपनी जीती हुई सीटों को बरकरार रखने की चुनौती है. सपा, कांग्रेस और बसपा कैसे भाजपा का मुक़ाबला करते हुए अपनी सीटों में इजाफा करेंगे.

Purvanchal Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश में पांच चरणों के लोकसभा चुनाव बीत जाने के बाद राजनीतिक दलों की सियासी जंग पूर्वांचल की 27 सीटों का सिमट गई है. छठे और सातवें चरण की इन 27 सीटों में पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर और समाजवादी पार्टी (सपा) का गढ़ कही जाने वाली आजमगढ़ सीट भी आती है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए भी पूर्वांचल में सियासी आधार बचाए रखे ही चुनौती है. बीते लोकसभा चुनाव में बसपा को पूर्वांचल में छह सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 18 और उसकी सहयोगी अपना दल (एस) को दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी. भाजपा के सामने अपनी जीती हुई सीटों को बरकरार रखने की चुनौती है. ऐसे में पूर्वांचल की सियासी लड़ाई में अब यह देखना है कि सपा, कांग्रेस और बसपा कैसे भाजपा का मुक़ाबला करते हुए अपनी सीटों में इजाफा करेंगे.

पीएम के दिन में कर रहे तीन-तीन सभाएं

बीते लोकसभा चुनावों में भाजपा पूर्वांचल में वैसा करिश्मा नहीं दिखा सकी थी जैसा कि उसने यूपी के अन्य क्षेत्रों में दिखाया था. आंकड़े बताते हैं, वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा पूर्वांचल के इलाके में अपना एकछत्र राज कायम नहीं कर सकी थी. सपा-बसपा गठबंधन के चलते बीजेपी पूर्वांचल इलाके की सात सीटों पर मात खानी पड़ी थी.

यहीं वजह है कि बीते पांच साल भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पूर्वांचल की हारी हुई सीटों पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए जूझता रहा और ओमप्रकाश राजभर जैसे इलाकाई नेताओं को अपने साथ लाने के लिए मजबूर हुआ. इसके बाद भी इंडिया गठबंधन से उसे इसबार पूर्वांचल की कुछ एक सीटों को छोड़कर हर सीट पर तगड़ी चुनौती मिल रही है.

यहीं वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दिन में तीन-तीन जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं, ताकि पार्टी की जीत सुनिश्चित हो सके. इस रणनीति के चलते पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बस्ती, सुल्तानपुर और श्रावस्ती में चुनावी जनसभा को संबोधित किया.

इस दौरान उन्होंने राम मंदिर के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और कहा कि शहजादे फिर से प्रभु श्रीराम को टेंट में भेजना चाहते हैं. अब देखना यह है कि ओबीसी की राजनीति को महत्व देने वाले पूर्वांचल क्षेत्र में पीएम नरेंद्र मोदी का यह दांव कितना कारगर साबित होगा.

पूर्वांचल की सियासत

राजनीति के जानकारों के अनुसार, पूर्वांचल की सियासत ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. चुनावी इतिहास यह बताता है कि इस पूरे इलाके में करीब 50 फीसदी से ज्यादा ओबीसी वोट बैंक जिस भी पार्टी के खाते में गया, जीत उस पार्टी की हुई है. भाजपा को बीते दो लोकसभा चुनावों में और विधानसभा चुनाव में ओबीसी समाज समर्थन मिला.

नतीजतन राज्य और केंद्र सत्ता पर भाजपा को काबिज हुई. बीते लोकसभा चुनावों में सपा को भी ओबीसी समाज का समर्थन पूर्वांचल में मिला है. इसे देखते हुए ही अखिलेश यादव ने इस बार पूर्वांचल की अपनी 22 सीटों में से 14 सीट पर गैर-यादव ओबीसी के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा है. जबकि चार सीटों पर दलित उम्मीदवार खड़े किए हैं.

इस तरफ से अखिलेश यादव ने पीडीए के अपने फार्मूले को पूर्वांचल में फैलाते हुए भाजपा के सामने तगड़ी चुनौती खड़ी की हुई है. यही नहीं अखिलेश यादव पूर्वांचल में मायावती की सियासी कमजोरी का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. पूर्वांचल में ओबीसी, दलित और सवर्ण वोटरों के महत्व को देखते हुए ही भाजपा और विपक्षी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी सियासी बिसात बिछा रखी है.

छठे में 14 और 7वें में 13 सीटों पर मतदान

लोकसभा चुनाव के छठे चरण में यूपी की 14 सीटों पर 25 मई को मतदान है. जबकि सातवें चरण में 13 सीटों पर एक जून को वोटिंग होगी. छठे चरण में सुल्तानपुर, फूलपुर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछली शहर, भदोही में चुनाव है.

सातवें चरण में वाराणसी, गोरखपुर, मिर्जापुर, चंदौली, घोसी, गाजीपुर, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, सलेमपुर, बलिया और रॉबर्ट्सगंज सीट पर एक जून को मतदान है. छठे चरण की अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, लालगंज और जौनपुर सीट बसपा जीती तो आजमगढ़ से सपा ने जीत दर्ज किया था.

सातवें चरण में गाजीपुर और घोसी सीट बसपा के खाते में गई थी. तब सपा-बसपा दोनों तब साथ थे, लेकिन इस बार दोनों अलग - अलग चुनाव लड़ रहे हैं. सपा-कांग्रेस मिलकर मैदान में उतरी हैं तो बीजेपी ने ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा, अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) और संजय निषाद की निषाद पार्टी से हाथ मिला रखा है.

पूर्वांचल की जिन 27 सीटों पर चुनाव होना है, उसमें से 24 सीट पर भाजपा और दो सीट पर अपना दल (एस) तथा एक सीट पर ओमप्रकाश राजभर की पार्टी से उनके बेटे अरविंद राजभर चुनाव मैदान में है. सपा ने 22 सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं. चार सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं. सपा ने एक सीट पर टीएमसी को दी हुई. 

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