नई दिल्ली: नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन ने फ़िलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता देने का फैसला किया है। स्पेन, नॉर्वे और आयरलैंड ने 28 मई को फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की योजना का खुलासा किया है। नॉर्वेजियन प्रधान मंत्री जोनास गहर स्टोर ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इजरायल और फिलिस्तीन के झगड़े का द्विराष्ट्र सिद्धांत एकमात्र विकल्प था। आयरलैंड के प्रधान मंत्री साइमन हैरिस ने कहा कि यह निर्णय शांतिपूर्ण भविष्य में मदद करेगा।
फिलिस्तीनी नेताओं ने फैसले का स्वागत किया और इसे ऐतिहासिक क्षण कहा है। हालांकि इजरायल इस घोषणा से नाराज है और प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि वह 7 अक्टूबर के हमलों का वीडियो देखने के लिए इन तीन देशों के राजदूतों को बुलाएगा। प्रतिक्रिया में इज़रायली विदेश मंत्री इज़राइल काट्ज़ ने कहा कि इतिहास याद रखेगा कि स्पेन, नॉर्वे और आयरलैंड ने हमास के हत्यारों और बलात्कारियों को स्वर्ण पदक देने का फैसला किया था।
संयुक्त राज्य अमेरिका का करीबी सहयोगी नॉर्वे अक्सर इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच शांति स्थापित करने की कोशिश करता रहा है। सने पहले भी अक्सर कहा है कि अगर वह क्षेत्र में शांति स्थापित करने में मदद करता है तो वह फिलिस्तीन को मान्यता देगा। आयरलैंड और स्पेन भी जल्द ही फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता की घोषणा करेंगे। घोषणा से पहले संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से लगभग 143 ने फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी है।
स्लोवेनिया और माल्टा जो कि यूरोपीय संघ के सदस्य हैं, ने पिछले हफ्तों में फिलिस्तीन को मान्यता देने के लिए अपना इरादा व्यक्त किया है। इनका मानना है कि क्षेत्र में निरंतर शांति के लिए दो-राज्य समाधान महत्वपूर्ण है।
ये अहम घोषणा ऐसे समय की गई है जब इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग के ऐलान के बाद गाजा को तबाह कर दिया है। उत्तरी गाजा पूरी तरह तबाह है और दक्षिणी गाजा के शहर राफा लगातार हमले कर रहा है। इजराइल ने नॉर्वे तथा आयरलैंड से अपने राजदूतों को वापस बुलाने का आदेश दिया है। सबसे पहले नॉर्वे ने मान्यता देने के फैसले की घोषणा की।