लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: समलैंगिकों पर अदालत के फैसले के निहितार्थ

By अवधेश कुमार | Published: October 20, 2023 9:48 AM

समलैंगिक व्यक्तियों को अपना साथी चुनने का अधिकार है, लेकिन राज्य को ऐसे समूह को मिलने वाले अधिकारों को मान्यता देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। 

Open in App

समलैंगिकों को विवाह की कानूनी अनुमति देने संबंधी याचिका को उच्चतम न्यायालय ने अस्वीकृत कर दिया है। पूरे आदेश को देखें तो साफ हो जाएगा कि न्यायालय ने समलैंगिकता के विरुद्ध कोई टिप्पणी नहीं की है।  केवल यह कहा है कि समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है और न्यायालय इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता।  

न्यायालय सिर्फ कानून की व्याख्या कर उसे लागू करा सकता है।  मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट या विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है।  सभी 21 याचिकाकर्ताओं ने संबंधित विवाह को विशेष विवाह अधिनियम के तहत निबंधित करने की अपील की थी।  

न्यायालय का फैसला मुख्यत: दो आधारों पर टिका है। एक, शादी-विवाह मौलिक अधिकार के तहत आता है या नहीं तथा दो, न्यायालय इसमें बदलाव कर सकता है या नहीं? पीठ का कहना है कि विवाह मौलिक अधिकार नहीं है तथा न्यायालय कानून में परिवर्तन नहीं कर सकता है क्योंकि कानून बनाना संसद का विशेषाधिकार है। 

सच यह है कि न्यायालय द्वारा पूछे जाने पर केंद्र सरकार ने जो उत्तर दिया उसमें ऐसे सारे तर्क दिए गए थे जिनसे समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने का कानूनी, संवैधानिक, सांस्कृतिक, सामाजिक हर स्तर पर विरोध होता था। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सरकार बाध्य नहीं है कि हर निजी रिश्ते को मान्यता दे। याचिकाकर्ता चाहते हैं कि नए मकसद के साथ नई श्रेणी बना दी जाए। इसकी कभी कल्पना नहीं की गई थी।

अगर ऐसा किया गया तो भारी संख्या में कानून में बदलाव लाने पड़ेंगे जो संभव नहीं होगा।  बावजूद न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट ने जो लिखा उसकी कुछ पंक्तियां देखिए- सरकार को इस मसले पर कानून बनाना चाहिए, ताकि समलैंगिकों को सामाजिक और कानूनी मान्यता मिल सके।

समलैंगिक व्यक्तियों को अपना साथी चुनने का अधिकार है, लेकिन राज्य को ऐसे समूह को मिलने वाले अधिकारों को मान्यता देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। 

टॅग्स :एलजीबीटीभारत
Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटT20 World Cup 2024: लाखों दिव्यांग खेल प्रेमियों के लिए सांकेतिक भाषा में होगा मैच का प्रसारण

भारतब्लॉग: चुनावी राजनीति से क्यों गायब है पर्यावरण का मुद्दा ?

कारोबारमहिलाओं और युवाओं को मिला रोजगार, घरेलू जरूरतें हुईं पूरी, शहरी क्षेत्र में ग्रोथ सबसे ज्यादा- रिपोर्ट

भारतब्लॉग: अर्थव्यवस्था का सहारा बने प्रवासी भारतीय

विश्व"भारत चंद्रमा पर उतर चुका है, जबकि हम...": पाकिस्तानी सांसद ने कराची में सुविधाओं की कमी पर कही ये बात

भारत अधिक खबरें

भारतGhatkopar hoarding collapse: मुंबई पुलिस ने बिलबोर्ड मालिक भावेश भिंडे को किया गिरफ्तार

भारतMaharashtra LS Polls 2024: नासिक में चुनाव आयोग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सामान की जांच की

भारतSwati Maliwal assault case: मारपीट की घटना को लेकर स्वाति मालीवाल ने पुलिस में की शिकायत, रिकॉर्ड कराए अपने बयान

भारतBihar Politics News: जिस तरह सूरज का उगना तय वैसे ही नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना तय..., भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने दावा किया

भारतWeather Alert: 5 दिन रहे सतर्क, उत्तर-पश्चिम भारत में लू को लेकर अलर्ट, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में दिखेगा असर, तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पहुंचेगा, जानिए अपने शहर का हाल