DUSU Elections 2023: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव तीन साल बाद शुक्रवार को होंगे। इन चुनावों को लेकर पहली बार के मतदाताओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। वहीं, सुरक्षा के भी पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं।
विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक, सुबह की पाली के विद्यार्थी सुबह साढ़े आठ बजे से दोपहर एक बजे तक मतदान कर सकेंगे जबकि शाम की पाली के विद्यार्थी दोपहर तीन से शाम साढ़े सात बजे तक वोट डाल सकेंगे। मतगणना शनिवार को होगी। डूसू का पिछला चुनाव 2019 में हुआ था। 2020 और 2021 में कोरोना वायरस महामारी की वजह से चुनाव नहीं हो सका था जबकि चुनाव कराने की वजह से शैक्षणिक कैलेंडर में बाधा उत्पन्न होने की आशंका से 2022 में छात्र संघ का चुनाव नहीं कराया गया था।
इस बार, अलग-अलग छात्र संगठनों के कुल 24 उम्मीदवार मैदान में हैं। अंतिम सूची के मुताबिक, अध्यक्ष पद के लिए जहां 27 नामांकन पत्र दाखिल हुए थे, वहीं अब आठ उम्मीदवार ही मैदान में बचे हैं। उपाध्यक्ष पद के लिए 24 नामांकन पत्र दाखिल किये गए थे लेकिन सिर्फ पांच उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
मुख्य चुनाव अधिकारी को सचिव पद के लिए 24 और संयुक्त सचिव पद के लिए 20 नामांकन प्राप्त हुए। नाम वापसी के बाद सचिव पद के लिए छह और संयुक्त सचिव पद के लिए पांच उम्मीदवार ही मैदान में बचे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), कांग्रेस की छात्र शाखा भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन(एनएसयूआई), माकपा समर्थित स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और सीपीआई-एमएल (लिबरेशन) से संबद्ध ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने चारों पदों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
साल 2019 के डूसू चुनाव में एबीवीपी ने चार में से तीन सीटें जीती थीं। एनएसयूआई ने मासिक धर्म की छुट्टी, फीस में वृद्धि नहीं और हिंसा मुक्त परिसर जैसे मुद्दों को लेकर वादा किया, जबकि एबीवीपी ने ट्रांसजेंडरों सहित वंचित वर्गों लिए अधिक छात्रवृत्ति के लिए काम करने का वादा किया।
एनएसयूआई के घोषणापत्र में प्रति सेमेस्टर 12 दिन की मासिक धर्म छुट्टी, हिंसा मुक्त परिसर, शिकायत निवारण कक्ष, फीस में वृद्धि नहीं, सभी के लिए छात्रावास, मुफ्त मेट्रो पास, 24 घंटे खुला रहने वाला एक पुस्तकालय, परिसर में रेलवे आरक्षण काउंटर, सक्रिय प्लेसमेंट सेल, मुफ्त वाईफाई और बेहतर बुनियादी ढांचा जैसे मुद्दे शामिल हैं।
दूसरी ओर, एबीवीपी ने विश्वविद्यालय के लिए विशेष बसों के परिचालन और हर कॉलेज में नए छात्रावास और लड़कियों के छात्रावास के निर्माण की वकालत की। उन्होंने छात्रों को अपनी शिक्षा के साथ-साथ कमाने के अवसर प्रदान करने के लिए 'अर्न व्हाइल लर्न’ नीति पेश करने का भी वादा किया।
इस बीच, एनएसयूआई और एबीवीपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। दोनों छात्र समूहों ने परिसर में हंगामा और हिंसा करने के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाया। यहां अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता और एनएसयूआई के प्रभारी कन्हैया कुमार ने कहा,‘‘दिल्ली विश्वविद्यालय में जो दृश्य देखने को मिला वो बेहद चिंताजनक है। यह एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है जहां न केवल देश, बल्कि दुनिया भर से छात्र आकर पढ़ाई करते हैं।
सोशल मीडिया पर आए दिन हिंसा के वीडियो प्रसारित हो रहे हैं जो अभिभावकों के लिए बेहद चिंताजनक है।’’ यहां बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, एबीवीपी के आशुतोष सिंह ने आरोप लगाया, "एनएसयूआई परिसर में हिंसा और अशांति पैदा कर रही है। वे अपना चेहरा ढंककर छात्राओं के वेश में कॉलेज परिसर में प्रवेश करते हैं और उन्होंने डूसू चुनाव में एबीवीपी के उम्मीदवार तुषार डेढ़ा की कार पर भी हमला किया है।” विश्वविद्यालय के छात्र संघ के साथ-साथ कॉलेज स्तर के चुनाव भी होते हैं और ये एक साथ ही होते हैं।
इनके करीब 500 पदों के लिए लगभग 2,500 छात्र चुनाव मैदान में हैं। चुनाव में लगभग एक लाख छात्र अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि शुक्रवार को छात्र संघ चुनाव के लिए विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस में लगभग 500 सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे। चुनाव के लिए विश्वविद्यालय के दक्षिण परिसर में भी पर्याप्त इंतजाम किये गये हैं।
उत्तर दिल्ली के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) सागर सिंह कलसी ने कहा कि मतदान के दौरान और मतगणना के दिन पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्थानीय पुलिस, केंद्रीय अर्धसैनिक बल के कर्मी तैनात किए जाएंगे। दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के डीसीपी मनोज सी ने कहा कि दक्षिण परिसर में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं और नाके लगाए गए है और गश्त की जा रही है।