किसानों के लिए जो साल में छह हजार रु. देने की घोषणा की गई है, वह कुछ खास नहीं है. किसानों की कजर्माफी की जो मांग जोर पकड़ रही थी, इसके जरिये सरकार ने उसकी मामूली भरपाई करने की कोशिश की है.
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वोट प्रतिशत और सीटों की चर्चा करने वाले इन पारंपरिक किस्म के सर्वेक्षणों से अलग हटते हुए एक ऐसी रायशुमारी भी हुई है जो राजनीतिक हवा का अनुमान विश्वास या ट्रस्ट के संदर्भ में लगाती है.
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आम आदमी की स्वास्थ्य सुविधाओं के मद्देनजर सरकार को इस खर्च का कुछ हिस्सा वहन करना चाहिए. अभी हालत यह है कि हमारे देश में सरकार स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति 1411 रु. खर्च करती है, जबकि चीन में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकारी खर्च प्रति व्यक्ति 15 हजार रु.
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देश भर के जिम इस बात की गवाही देते हैं कि लोगों में अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है। तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल से, एक स्तर पर अब हमें शारीरिक श्रम की आवश्यकता नहीं रह गई है।
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जार्ज के दिल्ली आते ही हमारी गतिविधियां तेज हो गईं. मधु लिमये, किशन पटनायक, मनिराम बागड़ी, रामसेवक यादव, लाडलीमोहन निगम, कमलेश शुक्ल, श्रीकांत वर्मा आदि डॉ. लोहिया के घर पर अक्सर मिला करते थे और लोहियाजी के आंदोलनों को फैलाने पर विचार किया करते थे.
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आज एक समाचार पढ़ के बैंक वाली यह घटना अचानक याद आ गई. समाचार के अनुसार उच्चतम न्यायालय में एक मामला चल रहा है. अदालत से यह अपेक्षा की गई है कि वह देश के केंद्रीय विद्यालयों में गायी जाने वाली प्रार्थना पर तत्काल प्रतिबंध लगाए. प्रार्थी की शिकायत यह ह
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