जलवायु परिवर्तन तेजी से विकराल रूप लेता दिखाई देने लगा है. इसे हम अपने आसपास बढ़ती सर्दी और गर्मी के साथ अनावृष्टि और अतिवृष्टि के रूप में भी अनुभव कर रहे हैं.
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जरा हमारे तंत्र में बैल की अनुपयोगिता या उसके आवारा होने की हकीकत पर गौर करें तो पाएंगे कि हमने अपनी परंपरा को त्याग कर खेती को न केवल महंगा किया, बल्कि गुणवत्ता, रोजगार, पलायन, अनियोजित शहरीकरण जैसी दिक्कतों का भी बीज बोया.
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सलमान खान, शाहरुख़ खान और आमिर खान के अलावा अजय देवगन, अक्षय कुमार, जावेद अख्तर, कंगना रानौत, शबाना आजमी और तमाम कलाकारों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. लेकिन नसीरुद्दीन शाह ख़ामोशी की चादर ओढ़े नेपथ्य में चले गए हैं.
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शहीदों की खबर आने के बाद भी मनोज तिवारी रात 9 बजे एक कार्यक्रम में डांस कर रहे थे। अमित शाह कर्नाटक में सभा कर रहे थे। पीएम मोदी झांसी में उद्घाटन कर रहे थे..
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कश्मीर में आजादी की लड़ाई की तीव्रता सबसे ज्यादा जुमे के नमाज के दिन दिखती है और उस दिन वहां के नौजवान हांथ में इस्लामिक स्टेट का झंडा लेकर अपनी आजादी की मांग को मस्जिदों के लाउडस्पीकर के जरिये उठाते हैं. इस्लामिक स्टेट के पैटर्न पर आजादी का कौन सा मॉ
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पीछे मुड़कर देखने से ऐसा लगता है कि तिब्बत के मामले में भारत ने भयानक भूल कर दी थी. 1949 में चीन में माओवादियों का राज हो गया और उसके अगले वर्ष साम्यवादी चीन ने तिब्बत को हड़प लिया.
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इसमें कोई दो राय नहीं कि मोबाइल हमारे जीवन में बहुत बदलाव लाया है. लेकिन इससे वास्तविक दुनिया में जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई जल्दी नहीं हो सकती.
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अरुंधति रॉय का मानवीय पहलू ऐसा प्रतीत होता है, जहां माँ अपने एक बेटे पर तो जान न्योछावर कर रही है लेकिन उसी वक्त अपने दूसरे बेटे को अपनी ममता से महरूम रखती है. लेकिन अरुंधति को ये समझना होगा कि भारतीय समाज में माँ की अवधारणा कभी ऐसी नहीं रही है.
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