धरती पर बदलाव इतनी तेजी से हो रहे हैं कि दस लाख प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. यह एक ऐसी भयावह चीज है जो पिछले एक करोड़ साल में नहीं हुई है.
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चीनी इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल मशीनरी एवं उसके कलपुर्जे और मध्यवर्ती वस्तुओं के आयात अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत सरकार आत्मनिर्भर भारत का नारा दे रही है, इसके बावजूद इस बढ़ते आयात की आखिर क्या वजह है?
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कुछ जानकार बताते हैं कि गालिब साहब की हजरत निजामुद्दीन के प्रति आस्था थी, इसलिए परिवार वाले उन्हें दफनाने के लिए बस्ती निजामुद्दीन ले गए होंगे. कई लोग एक दूसरी वजह भी बताते हैं.
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सवाल यह है कि आने वाले दिन हिमालय की तलहटी से हिंदुस्तान के लिए किस तरह के संदेश लेकर आएंगे? भारत की सीमाओं की व्यावहारिक स्थिति का विश्लेषण करें तो लगता है कि चीन एक बार फिर भारत की घेराबंदी की व्यूह रचना नए सिरे से कर रहा है। जानकारों का अनुमान है
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आपको बता दें कि गुरु गोविंद सिंह जी के साथ मात्र चालीस सिख सैनिक थे और मुगलों की विशाल सेना लाखों में थी। साहिबजादा अजीत सिंह जो 17 वर्ष के थे और जुझार सिंह 14 वर्ष के थे, पिता से आज्ञा लेकर युद्ध के मैदान में उतरे थे और दोनों ने अपनी तलवार, युद्ध कौ
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बदरंग हो चुकी इस दुनिया को प्रेम के रंग में रंग देने की क्षमता केवल दो ही माध्यमों में है। एक है संगीत और दूसरा है खेल! ...लेकिन खेल में तो राजनीति घुसी ही है, इस दुनिया में राजनीति का खेल भी खूब चल रहा है।
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पीएम नरेंद्र मोदी एक ऐसे नेता हैं, जो रूस के राष्ट्रपति पुतिन से भी बात कर सकते हैं और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से भी संवाद कर सकते हैं। इसलिए दुनिया को उनसे उम्मीदें भी हैं।
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तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच जो मामूली मुठभेड़ हुई है, वह क्या इस लायक थी कि उस पर हमारी संसद के कई घंटे बर्बाद किए जाएं? सीमा-क्षेत्रों में ऐसी फौजी झड़पें अक्सर होती ही रहती हैं। उन्हें तिल का ताड़ बनाने का तुक आखिर क्या है?
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यह परियोजना करीब 35 साल पहले गंगा कार्ययोजना के रूप में शुरू हुई थी। तबसे इस पर सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। नरेंद्र मोदी ने गंगा की चिंता वाराणसी से 2014 में लोकसभा का प्रत्याशी बनने के साथ जताई थी।
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