'नमामि गंगे' ने नदी के 1500 किमी के हिस्से को प्रदूषण मुक्त किया, परियोजना का दिखने लगा है असर

By प्रमोद भार्गव | Published: December 24, 2022 12:04 PM2022-12-24T12:04:17+5:302022-12-24T12:06:12+5:30

यह परियोजना करीब 35 साल पहले गंगा कार्ययोजना के रूप में शुरू हुई थी। तबसे इस पर सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। नरेंद्र मोदी ने गंगा की चिंता वाराणसी से 2014 में लोकसभा का प्रत्याशी बनने के साथ जताई थी।

Namami Gange project made 1500 km of the river pollution free | 'नमामि गंगे' ने नदी के 1500 किमी के हिस्से को प्रदूषण मुक्त किया, परियोजना का दिखने लगा है असर

'नमामि गंगे' ने नदी के 1500 किमी के हिस्से को प्रदूषण मुक्त किया, परियोजना का दिखने लगा है असर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली 'नमामि गंगे' परियोजना की सराहना संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम (सीओपी 15) के दौरान एक रिपोर्ट में की गई। यह सम्मेलन कनाडा में संयुक्त राष्ट्र का पंद्रहवां जैव विविधता सम्मेलन है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि गंगा के किनारों पर 52 करोड़ लोग रहते हैं। भारत की कुल जीडीपी का 40 प्रतिशत हिस्सा इसी गंगा के पानी से उपजने वाली फसल और पर्यटन से चलता है क्योंकि गंगा के किनारे बसे प्रत्येक प्रमुख शहर से भारतीय संस्कृति की एक ऐसी कहानी जुड़ी हुई है, जो सनातन संस्कृति और धर्म को मूल्यवान बनाती है।  

संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन में जारी रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि हिमालय से बंगाल की खाड़ी तक 2525 किमी की लंबाई में बहने वाली इस नदी को जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि, प्रदूषण और औद्योगीकरण से बड़ा नुकसान हुआ है। लेकिन 'नमामि गंगे' परियोजना ने नदी के 1500 किमी के हिस्से को प्रदूषण मुक्त किया है। इस क्षेत्र में नदी के जलग्रहण क्षेत्र की सफाई के साथ-साथ इसके किनारों पर तीस हजार एकड़ में नए वन लगाने के साथ, पुराने जंगल का भी उचित संरक्षण किया गया। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि यदि इस जंगल की बहाली नहीं होती तो 2030 तक 25 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन की मात्रा बढ़ती, जो इस क्षेत्र की आबादी, जल-जीवों और पशु-पक्षियों के लिए बड़े संकट का सबब बन सकती थी। इस परियोजना के लक्ष्यों में वन्यजीव प्रजातियों का संरक्षण एवं उन्हें पुनर्जीवित करना भी था। इनमें डॉल्फिन, घड़ियाल, कछुए, ऊदबिलाव और हिल्सा मछली शामिल हैं। पर्यावरण सुधरेगा तो अन्य पशु-पक्षियों को भी जीवनदान मिलेगा। इसीलिए इसे संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया के दस प्रमुख प्रयासों में से एक माना है।

केंद्र सरकार की इस अत्यंत महत्वपूर्ण परियोजना के अंतर्गत गंगा में गिरने वाले जल को रोकने के साथ-साथ इसके दोनों किनारों पर वन क्षेत्र विकसित करने का अभियान अभी भी चल रहा है। हालांकि यह परियोजना करीब 35 साल पहले गंगा कार्ययोजना के रूप में शुरू हुई थी। तबसे इस पर सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। नरेंद्र मोदी ने गंगा की चिंता वाराणसी से 2014 में लोकसभा का प्रत्याशी बनने के साथ जताई थी। इसीलिए उन्होंने सत्तारूढ़ होने के बाद इस परियोजना को नमामि गंगे नाम देते हुए इसकी सफाई के लिए एक अलग मंत्रालय भी बना दिया। इसके बाद ही इसके कारगर परिणाम देखने में आए हैं। इसके किनारों पर जो हरित पट्टी विकसित की गई है उससे न केवल खेती की सेहत सुधरेगी बल्कि मनुष्य व दुधारू पशुओं की भी सेहत सुधरेगी।

Web Title: Namami Gange project made 1500 km of the river pollution free

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