अश्विनी महाजन का ब्लॉग: कब और कैसे रूकेगा चीन से बढ़ते आयात का सिलसिला ?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 27, 2022 04:30 PM2022-12-27T16:30:24+5:302022-12-27T16:33:36+5:30

चीनी इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल मशीनरी एवं उसके कलपुर्जे और मध्यवर्ती वस्तुओं के आयात अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत सरकार आत्मनिर्भर भारत का नारा दे रही है, इसके बावजूद इस बढ़ते आयात की आखिर क्या वजह है? 

When and how process of increasing imports from China can be stop? | अश्विनी महाजन का ब्लॉग: कब और कैसे रूकेगा चीन से बढ़ते आयात का सिलसिला ?

अश्विनी महाजन का ब्लॉग: कब और कैसे रूकेगा चीन से बढ़ते आयात का सिलसिला ?

यूं तो आयात-निर्यात एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन चीन से बढ़ते आयात इस कारण चिंता का सबब बनते हैं, क्योंकि इससे व्यापार घाटा बढ़ता है और देश की विदेशी मुद्रा की देनदारी भी. गौरतलब है कि चीन से बढ़ते आयातों और उसके कारण भारत की चीन पर बढ़ती निर्भरता के मद्देनजर सरकार ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत विभिन्न उपाय अपनाए. 

सर्वप्रथम 14 उद्योगों को चिन्हित किया गया, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा उपकरण, थोक दवाएं, टेलिकॉम उत्पाद, खाद्य उत्पाद, एसी, एलईडी, उच्च क्षमता सोलर पीवी मॉड्यूल, ऑटोमोबाइल और ऑटो उपकरण, वस्त्र उत्पाद, विशेष स्टील, ड्रोन इत्यादि शामिल थे. बाद में सेमी कंडक्टर को भी इसमें जोड़ा गया. 

ये वो उद्योग थे जो अधिकांशतः पिछले 20 वर्षों में चीन से बढ़ते आयातों के समक्ष प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने के कारण बंद हो गए थे अथवा बंद होने के कगार पर थे. चीन के द्वारा डंपिंग, चीन सरकार की निर्यात सब्सिडी और तत्कालिक सरकार की असंवेदनशील नीति के तहत आयात शुल्कों में लगातार कमी ने चीनी आयातों को भारत में स्थान बनाने में सहयोग दिया.

आज जब भारत सरकार आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के तहत पीएलआई स्कीम, तकनीकी सहयोग और विभिन्न उपायों के माध्यम से बंद हो चुके अथवा बंद होने के कगार पर खड़े उद्योगों को नया जीवन प्रदान करने की कोशिश कर रही है तो ऐसे में क्या कारण है कि उसके बावजूद भी चीनी आयात बढ़ते ही जा रहे हैं? देखा जा रहा है कि चीनी इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल मशीनरी एवं उसके कलपुर्जे और मध्यवर्ती वस्तुओं के आयात अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं. 

सरकारी तर्क यह है कि चूंकि चीन से आने वाले आयात अधिकांश मध्यवर्ती वस्तुओं में हैं इसलिए यह एक अच्छा संकेत है और देश में बढ़ते मैन्युफैक्चरिंग की ओर इंगित करता है. यह भी तर्क दिया जाता है कि देश में चीनी मध्यवर्ती वस्तुओं के आयात पर मूल्य संवर्धन से देश में रोजगार का निर्माण भी होता है. 

गौरतलब है कि देश में चीनी साजोसामान के भारी विरोध के बावजूद जो चीनी आयात बढ़ रहे हैं, वो इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि चीन से आने वाले आयातों का एक बड़ा हिस्सा तैयार उपभोक्ता वस्तुओं का नहीं, बल्कि मशीनरी और रसायन समेत अन्य मध्यवर्ती वस्तुओं का है. बड़ा सवाल यह है कि क्या यह मध्यवर्ती वस्तुएं बनाने की सामर्थ्य भारत में नहीं है? शायद यह सही नहीं है. 

एक देश जो अंतरिक्ष, सॉफ्टवेयर, ऑटोमोबाइल, मिसाइल समेत कई क्षेत्रों में सुपर पावर है, वो जीरो टेक्नोलॉजी की मध्यवर्ती वस्तुएं नहीं बना सकता यह समझ के परे है. समझना होगा कि चीन द्वारा सस्ते माल की डम्पिंग और कई अन्य अनुचित हथकंडे अपना कर भारत में क्षमता निर्माण को बाधित किया गया है.

Web Title: When and how process of increasing imports from China can be stop?

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