विपक्ष क्या चाहता है, हम जबरदस्ती चीन के साथ क्या झगड़ा मोल ले लें?

By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 24, 2022 02:44 PM2022-12-24T14:44:41+5:302022-12-24T14:45:06+5:30

 तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच जो मामूली मुठभेड़ हुई है, वह क्या इस लायक थी कि उस पर हमारी संसद के कई घंटे बर्बाद किए जाएं? सीमा-क्षेत्रों में ऐसी फौजी झड़पें अक्सर होती ही रहती हैं। उन्हें तिल का ताड़ बनाने का तुक आखिर क्या है?

What does the opposition want should we forcefully buy a fight with China? | विपक्ष क्या चाहता है, हम जबरदस्ती चीन के साथ क्या झगड़ा मोल ले लें?

विपक्ष क्या चाहता है, हम जबरदस्ती चीन के साथ क्या झगड़ा मोल ले लें?

संसद की बहस को देखते हुए ऐसा लगता है कि हमारे विपक्ष के तरकस में तीर हैं ही नहीं। वह सत्तारूढ़ दल पर खाली तरकस घुमाने में जुटा हुआ है। जगदीप धनखड़ ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में वर्तमान 'कॉलेजियम' पद्धति में सुधार की बात कही थी। उन्होंने न्यायपालिका के अधिकारों की कटौती या उपेक्षा की कोई बात नहीं कही थी। उन्होंने किसी स्वस्थ संसदीय प्रजातंत्र में न्यायपालिका, विधानपालिका और कार्यपालिका के बीच जो आवश्यक संतुलन और सहयोग का तत्व होता है, उसी पर जोर दिया था। इसके अलावा राज्यसभा के सभापति के तौर पर उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मंत्री पीयूष गोयल से कहा था कि वे सदन में एक-दूसरे पर खुले प्रहार करने के बजाय उनके कक्ष में आकर तवांग में हुई मुठभेड़ पर बात करें तो खड़गे ने धनखड़ की इस अपील को भी ठुकरा दिया। विपक्ष ने तवांग के मुद्दे पर तो लोकसभा की कार्रवाई ही ठप कर दी थी।

 तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच जो मामूली मुठभेड़ हुई है, वह क्या इस लायक थी कि उस पर हमारी संसद के कई घंटे बर्बाद किए जाएं? सीमा-क्षेत्रों में ऐसी फौजी झड़पें अक्सर होती ही रहती हैं। उन्हें तिल का ताड़ बनाने का तुक आखिर क्या है? यदि तवांग की मुठभेड़ गंभीर होती तो भारत और चीन के कोर कमांडर दो दिन पहले चुशूल-मोल्दो सीमांत के शिविर में बैठकर शांतिपूर्वक बात क्यों करते? दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि वे सभी मुद्दों को बातचीत से हल करेंगे। 2020 में हुए गलवान घाटी विवाद पर भी दोनों पक्षों का रवैया ताल-मेल का था। चीन के साथ सीमांत पर यदाकदा झड़पें होती रहती हैं लेकिन हम यह न भूलें कि उसके साथ भारत का व्यापार भी बढ़ रहा है। हमारा विपक्ष क्या चाहता है? हम जबरदस्ती चीन के साथ क्या झगड़ा मोल ले लें? कांग्रेस यह नहीं चाह सकती लेकिन वह सरकार की टांग-खिंचाई जरूर करना चाहती है इसीलिए वह एक अ-मुद्दे को मुद्दा बनाने पर तुली हुई है।

Web Title: What does the opposition want should we forcefully buy a fight with China?

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