ठळक मुद्देकांग्रेस और अन्य पार्टियां एआईएमआईएम को भाजपा की ‘बी टीम’ बताती है और भाजपा विरोधी पार्टियों का वोट बांटने के लिए ओवैसी की आलोचना करती रही हैं।एमआईएमआईएम का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में भी अच्छा नहीं रहा था।
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए के खाते में गई हो लेकिन असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी AIMIM ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। ओवैसी की पार्टी ने सूबे की पांच विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करके राजनीतिक दलों में हलचल मचा दी है। इसी के साथ ही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का कद भी राष्ट्रीय राजनीति की ओर बढ़ रहा है और शायद यही वजह है कि अवैसी अब उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी अपने पांव पसारने के लिए उत्सुक है।बता दें कि AIMIM ने इस बार बिहार में कुल 20 उम्मदीवार खड़े किए थे जिसमें 14 उम्मीदवार सीमांचल क्षेत्र में थे। बाकी सीटें मिथिलांचल की थीं। अमौर, कोचाधाम, जोकीहाट, बायसी और बहादुरगंज सीट है ऐसे हैं जहां से ओवैसी की पार्टी ने परचम लहराया और ये सब समीचंल में आते हैं। बताते चलें कि सीमांचल इलाके में 2015 के चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। कांग्रेस ने यहां अकेले 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि, जदयू को 6 और आरजेडी को 3 सीटें मिली थीं। वहीं, भाजपा को 6 और एक सीट भाकपा माले को गयी थी। 2015 के चुनाव में ओवैसी की पार्टी का प्रदर्शन खराब था। उसने सीमांचल की छह सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें कोचाधामन सीट पर AIMIM प्रत्याशी अख्तरुल इमान दूसरे नंबर पर रहे थे। वर्तमान में अख्तरुल इमान बिहार AIMIM के अध्यक्ष है। लेकिन इसके बाद 2019 में हुए उपचुनाव में किशनगंज सीट पर ओवैसी की पार्टी खाता खोलने में कामयाब रही थी।बिहार चुनाव के नताजों पर क्या बोले ओवौसीनतीजों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा कि पार्टी पूर्वी राज्य के सीमांचल क्षेत्र में न्याय की लड़ाई लड़ेगी। वहीं, नतीजों के दौरान ओवैसी पर भाजपा का विरोध करने वाली पार्टियों के वोट बांटने के आरोप भी लगें। जिसपर उन्होंने कहा कि वो एक राजनीतिक पार्टी चला रहे हैं और पार्टी को चुनाव लड़ने का अधिकार है।इसके अलावा प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब उनसे ये पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी अन्य राज्यों में भी चुनाव लड़ेगी तो उन्होंने कहा, ‘‘ आपका मतलब है कि हमें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। आप (कांग्रेस) महाराष्ट्र में शिवसेना की गोद में जा बैठे। क्या किसी ने पूछा कि आप चुनाव क्यों लड़ते हैं…मैं पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और देश में हर चुनाव लड़ूंगा। मुझे क्या चुनाव लड़ने के लिए किसी से मंजूरी लेने की जरूरत है।’’हालांकि उन्होंने ये स्पष्ट नहीं किया कि वो यूपी व बंगाल में किस दल के साथ चुनाव लड़ेंगे। लेकिन ओवैसी ने कहा कि एआईएमआईएम 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ेगी। ये तो समय ही बताएगा कि हम किसके सहयोगी होंगे।’’ कांग्रेस और अन्य पार्टियां एआईएमआईएम को भाजपा की ‘बी टीम’ बताती है और भाजपा विरोधी पार्टियों का वोट बांटने के लिए ओवैसी की आलोचना करती रही हैं।एआईएमआईएम की चुनावों में प्रदर्शनइस चुनाव में एआईएमआईएम 'ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट' का हिस्सा है। इस गठबंधन का हिस्सा उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में चार करोड़ से ज्यादा मत डाले गए और इनमें से 1.24 फीसद वोट एआईएमआईएम को मिले हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2015 उसे सिर्फ 0.5 फीसदी मत ही हासिल हो पाये थे। वहीं एमआईएमआईएम का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में भी अच्छा नहीं रहा था। लेकिन तेलंगाना और बिहार के अलावा महाराष्ट्र में पार्टी के पास दो विधायक और एक सांसद है।महाराष्ट्र में किया 2 विधानसभा सीटें जीतकर किया था कमालसाल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने महाराष्ट्र में पहली बार औरंगाबाद की एक सीट जीती थी और इसी साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने धुले सिटी और मालेगांव सेंट्रल सीट पर कब्जा जमाया था। हालांकि औरंगाबाद सेंट्रल सीट पर एआईएमआईएम को हार का सामना करना पड़ा था। फिलहाल ओवैसी की पार्टी बिहार की तरह अगर आगामी बंगाल और यूपी में अपने प्रदर्शन बरकार रखती है तो जल्द ही राष्ट्रीय राजनीति में बड़े दल के रूप में उभरेंगी।