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गन्ना बकाया फरवरी में 22,900 करोड़ रुपये तक पहुंचा, आंदोलन कर रहे किसानों ने भाजपा नेताओं से भी समर्थन मांगा

By भाषा | Published: April 02, 2021 7:31 AM

चीनी के कमजोर दाम के कारण चीनी मिलों की नकदी की स्थिति प्रभावित हुई है। इस्मा ने कहा कि उसे उम्मीद है कि सरकार चीनी मिलों की स्थिति में सुधार के लिये चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को मौजूदा स्तर से बढ़ायेगी।

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ठळक मुद्देहरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को बृहस्पतिवार को हिसार के अपने दौरे के दौरान किसानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। किसानों ने अपने बयान में कहा कि किसानों ने दुष्यंत चौटाला के हेलीकॉप्टर को उड़ने नहीं दिया।

नयी दिल्ली: गन्ना सत्र 2020- 21 में फरवरी तक चीनी मिलों पर गन्ने का बकाया एक साल पहले के मुकाबले 19.27 प्रतिशत बढ़कर 22,900 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी दी।

उसका कहना है कि चीनी के कमजोर दाम के कारण चीनी मिलों की नकदी की स्थिति प्रभावित हुई है। इस्मा ने कहा कि उसे उम्मीद है कि सरकार चीनी मिलों की स्थिति में सुधार के लिये चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को मौजूदा स्तर से बढ़ायेगी।

इस्मा ने एक वक्तव्य में कहा है कि चीनी मिलों की राजस्व प्राप्ति में सुधार लाना जरूरी है अन्यथा यदि मौजूदा स्थिति और खराब होती है तो किसानों के गन्ने का बकाया तेजी से बढ़ेगा। एसोसिएशन ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुये कहा कि इस साल गनने का बकाया एक साल पहले के मुकाबले अधिक है। एक साल पहले इसी अवधि में यह 19,200 करोड़ रुपये था।  

वहीं, एमएसपी, गन्ने के बकाया व तीन नए कृषि कानून आदि के खिलाफ किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बृहस्पतिवार को भाजपा सांसदों और उसके सहयोगी दलों के नेताओं से किसान आंदोलन का समर्थन करने की अपील की। मोर्चा ने इस बात का भी जिक्र किया कि वे भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं का ‘‘शांतिपूर्ण सामाजिक बहिष्कार’’ जारी रखेंगे।

एसकेएम के एक बयान के मुताबिक, ‘‘हम भाजपा सांसदों और इसके सहयोगी दलों से तथा अन्य निर्वाचित जन प्रतिनिधियों से किसान आंदोलन का समर्थन करने का अनुरोध करते हैं। एसकेएम इन नेताओं से अपील करता है कि वे पद से इस्तीफा देने सहित किसी भी रूप में आंदोलन का समर्थन कर सकते हैं।’’

मोर्चा ने दावा किया कि हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को बृहस्पतिवार को हिसार के अपने दौरे के दौरान किसानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। बयान में कहा गया है, ‘‘किसानों ने दुष्यंत चौटाला के हेलीकॉप्टर को उड़ने नहीं दिया। ’’ चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा की गठबंधन साझेदार है।  

टॅग्स :किसान आंदोलनहिसारदुष्यंत चौटाला
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