नई दिल्ली: पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग कर अनधिकृत निगरानी के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तकनीकी समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ 23 फरवरी को अंतरिम रिपोर्ट के साथ लंबित याचिकाओं पर विचार करेगी।
इससे पहले, न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में इस मामले पर सुनवाई की थी। उस समय न्यायालय ने भारत में कुछ लोगों की निगरानी के लिए इजराइली स्पाइवेयर का इस्तेमाल किए जाने के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों का तीन सदस्यीय एक पैनल गठित करने का आदेश दिया था।
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत एवं जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने 12 जनहित याचिकाओं को 23 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। इनमें ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’, पत्रकारों-एन राम और शशि कुमार की याचिकाएं भी शामिल हैं।
न्यायालय ने भारत में राजनीतिक नेताओं, अदालती कर्मियों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न लोगों की निगरानी के लिए इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञ, डिजिटल फॉरेंसिक, नेटवर्क एवं हार्डवेयर के विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की थी और जांच की निगरानी की जिम्मेदारी शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आर. वी. रवींद्रन को सौंपी थी।
इस समिति में गांधीनगर में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के डीन डॉ. नवीन कुमार चौधरी, केरल में अमृता विश्व विद्यापीठम में प्रोफेसर डॉ. प्रभारन पी., और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे में संस्थान के चेयर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अश्विन अनिल गुमस्ते शामिल हैं।
इसने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आरवी रवींद्रन को इसके कामकाज की निगरानी के लिए और दो अन्य विशेषज्ञों पूर्व आईपीएस अधिकारी आलोक जोशी और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. संदीप ओबेरॉय को उनकी सहायता के लिए नियुक्त किया।