कोझिकोड हवाईअड्डे के रनवे-10 पर बारिश में उतरते विमान की दिशा में बहती हवा की स्थिति खतरनाक साबित हो सकती है. यह चेतावनी नागर विमानन सुरक्षा सलाहकार समिति (सीएएसएसी) ने नौ वर्ष पहले दी थी. इसके बावजूद हवाईअड्डे को सुरक्षित घोषित कर विमानों का परिचालन जारी रखा गया. सीएएसएसी में परिचालन समूह के तत्कालीन सदस्य रहे कैप्टन मोहन रंगनाथन ने जून 2011 में तत्कालीन नागर विमानन सचिव नसीम जैदी को पत्र लिखकर इस हवाई पट्टी को लेकर अपनी चिंता जताई थी.
मेंगलूर हवाईअड्डे पर 2010 में एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद रंगनाथन ने यह पत्र लिखा था. इस हादसे में 158 लोग मारे गए थे. रंगनाथन ने लिखा था, ''रनवे-10 पर बारिश में अनुकूल हवा की स्थिति में उतरने वाली उड़ानें यात्रियों की जान खतरे में डालने वाली हैं.'' ऐसी परिस्थिति में उतरते समय विमान की दिशा प्रभावित हो सकती है. कोझिकोड हवाईअड्डे पर हुई दुर्घटना के बारे में रंगनाथन ने कहा है कि रनवे की ढलान खड़ी और नीचे की ओर है. उसके आसपास कोई सुरक्षा क्षेत्र नहीं है. उन्होंने कहा, ''यदि हादसे में किसी की जान गई है, तो यह एक अपराध है.''
हादसे में बचे यात्रियों ने सुनाई खौफनाक मंजर की कहानी
केरल के कोझिकोड में हुई विमान दुर्घटना में जीवित बचे यात्रियों ने शनिवार को कहा कि यह सब पलक झपकते ही हो गया. उन्हें लगा था कि वे घर पहुंच गये, लेकिन विमान हवाईअड्डे पर फिसल गया और 35 फीट गहरी खाई में जा गिरा. दुबई से आ रहा एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान शुक्रवार शाम यहां दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. विदेशों में फंसे भारतीयों को वंदे भारत अभियान के तहत इसके जरिये लाया गया था. विमान में कुल 190 लोग सवार थे. दुर्घटना में दो पायलट सहित कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई और उनका यह सफर अधूरा रह गया.
आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट साहिरा बानू अपने तीन बच्चों के साथ 10 महीने पहले पति निजास के पास दुबई गई थी. लेकिन नजदीक के कोट्टकल आर्य वैद्य शाला से नौकरी की पेशकश पाने के बाद उन्होंने केरल लौटने का फैसला किया था. उनकी एक करीबी रिश्तेदार जमीला ने यह बताया. जमीला ने बताया कि साहिरा के दो बच्चे - आठ साल का बेटा और चार साल की बेटी इस हादसे में घायल हो गये, उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. लेकिन साहिरा और उनका एक साल के बेटे की मौत हो गई. इस तरह नौकरी पाने की खातिर घर आने का साहिर का सफर अधूरा रह गया.