नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को गैरकानूनी संगठन बताते हुए उस पर 5 साल का प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही पीएफआई के सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई हुई है। इन पर भी पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया है।
हाल के दिनों में पीएफआई और उससे जुड़े लोगों पर लगातार छापेमारी के बाद गृह मंत्रालय की ओर से ये कार्रवाई की गई है। हाल में 22 सितंबर को ईडी और एनआईए ने छापेमारी में पीएफआई से जुड़े 106 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं कल मंगलवार (28 सितंबर) को दूसरे राउंड की छापेमारी में 247 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि PFI और उसके सहयोगी संगठनों और मोर्चों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत पांच साल की अवधि के लिए 'गैरकानूनी संस्था' घोषित किया गया है।
साथ ही कहा गया है, 'पीएफआई और उसके सहयोगी या मोर्चे खुले तौर पर एक सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक संगठन के रूप में काम करते हैं, लेकिन वे गुप्त रूप से लोकतंत्र की अवधारणा को कम करने की दिशा में समाज के एक विशेष वर्ग को कट्टरपंथी बनाने के एजेंडा के तहत कम कर रहे हैं और ये सरासर देश के संवैधानिक ढांचे और संवैधानिक संस्थाओं का अपमान है।'
पीएफआई के 8 सहयोगी संगठन भी बैन
PFI के अलावा रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल वुमंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन, रिहैब फाउंडेशन जैसे सहयोगी संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
पीएफआई पर बैन के बाद अब ये देश में किसी प्रकार की गतिवधि को अंजाम नहीं दे सकता है। वह न तो आधिकारिक तौर पर कोई कार्यक्रम आयोजित कर सकता है, न उसका कोई दफ्तर होगा, न ही वो कोई सदस्यता अभियान चला सकेगा और न ही फंडिंग आदि ले सकेगा।