गिरिराज सिंह हाल के वर्षों में बिहार में भूमिहारों के अकेले बड़े नेता माने जाते रहे हैं. और उन्हें प्रदेश में राजनीति का लंबा अनुभव भी है. इसके विपरीत कन्हैया कुमार जेएनयू में छात्र संघ की राजनीति से उभरे हैं और मीडिया के द्वारा स्थापित चेहरा कहा जाता
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प्राचीन युग में रंगमंच कला मात्र राजा-महाराजाओं के शौक तक सीमित थी, लेकिन आजादी के बाद इसका विस्तार हुआ. देखते-देखते यह कला सभी के दिलों पर राज करने लगी. इसके बाद सिनेमा के रूप में जन्मी पर्दे की रंगमंची दुनिया ने पारंपरिक रंगमंच के स्वर्णिक काल पर क
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वैसे तो इस मंदिर का कोई क्रमबद्ध लिखित इतिहास ज्ञात नहीं है कि यह मंदिर कब अस्तित्व में आया किंतु परंपरानुसार ज्ञान की देवी सरस्वती के इस मंदिर को 5000 साल से भी अधिक पुराना माना जाता है.
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सच यही है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय कट्टरपंथियों के रहमोकरम पर निर्भर है. इनका सबसे ज्यादा शिकार लड़कियां होती हैं. भारत ने अपने उच्चायोग से रिपोर्ट मंगाई है. इस रिपोर्ट के बाद भारत को मामला अंतर्राष्ट्रीय फोरम पर उठाकर पाकिस्तान को अल्पसं
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भारत ने ऐसे 15 हेलिकॉप्टर लेने के लिए बोइंग के साथ करीब 1.5 अरब डॉलर (8,048 करोड़ रुपए) की डील की है,. यह हेलिकॉप्टर वायुसेना के लिए गेम-चेंजर साबित होंगे. इसका पहले से ही दुनिया में विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में प्रयोग होता रहा है.
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कहने के लिए भाजपा पूरे देश के पैमाने पर राजग के नेतृत्वकारी दल की हैसियत से चुनाव लड़ रही है, लेकिन ऐसा उसने केवल बिहार के संदर्भ में ही करना क्यों पसंद किया?
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चीन लोकतंत्र के नाम से ही चिढ़ जाता है लेकिन मानवीय संवेदनाओं को कैद कर संपूर्ण विकास का दावा नहीं किया जा सकता. चीन का डेवलपमेंट यूरोप से अपनी तुलना नहीं कर सकता. शी जिनपिंग को यह दावा करने के लिए देश की राजनीतिक व्यवस्था को उदारवादी बनाना होगा.
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अर्धसैनिक बलों के जवानों को सरकार से कुछ शिकायतें भी हैं जो समय-समय पर सामने आती रही हैं. अर्धसैनिक बलों के जवान जिस तरह इस्तीफा देते और वीआरएस लेते रहे हैं, उससे भी पता चलता है कि उनमें कहीं न कहीं अपनी सेवा सुविधाओं के प्रति असंतोष है.
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26 मार्च 1907 को जन्मीं महादेवी वर्मा अपनी माता के संपर्क में अधिक रहीं. माता के संस्कार महादेवी के व्यक्तित्व में दिखते हैं. माता से मिली भावुकता और पिता से मिली दार्शनिकता का उनके जीवन व साहित्य में समन्वय है.
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वर्तमान चुनाव एक कसौटी होने जा रहा है सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों की समझ, सदाशयता और परिपक्वता का और साथ ही समाज की तर्कशक्ति के बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग का. जनता की भावनात्मक अतिरेक से बचने की कोशिश और तार्किक सोच इस प्रयास में बेहद सार्थक भूमि
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