अर्धसैन्य बलों की समस्या पर भी ध्यान देना जरूरी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 26, 2019 11:26 AM2019-03-26T11:26:29+5:302019-03-26T11:26:29+5:30

अर्धसैनिक बलों के जवानों को सरकार से कुछ शिकायतें भी हैं जो समय-समय पर सामने आती रही हैं. अर्धसैनिक बलों के जवान जिस तरह इस्तीफा देते और वीआरएस लेते रहे हैं, उससे भी पता चलता है कि उनमें कहीं न कहीं अपनी सेवा सुविधाओं के प्रति असंतोष है.

government should focus on problems of paramilitary forces in india | अर्धसैन्य बलों की समस्या पर भी ध्यान देना जरूरी

अर्धसैन्य बलों की समस्या पर भी ध्यान देना जरूरी

गृह मंत्रलय द्वारा अर्धसैन्य बलों की लड़ाकू श्रेणियों में 55,000 से अधिक जवानों को ‘खराब मेडिकल श्रेणी’ में बताते हुए उन्हें सेवा से हटाने की सिफारिश ने इस बात की ओर भी संकेत किया है कि केंद्रीय अर्धसैन्य बलों की समस्याओं पर सरकार को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है. दरअसल सेना में जिस तरह हर स्तर पर पूर्ण नियंत्नण और अनुशासन है, अर्धसैनिक बलों में वैसी स्थिति नहीं है. 

अर्धसैनिक बलों के जवानों को सरकार से कुछ शिकायतें भी हैं जो समय-समय पर सामने आती रही हैं. अर्धसैनिक बलों के जवान जिस तरह इस्तीफा देते और वीआरएस लेते रहे हैं, उससे भी पता चलता है कि उनमें कहीं न कहीं अपनी सेवा सुविधाओं के प्रति असंतोष है. वर्ष 2009 से 2012 के बीच करीब 44 हजार जवानों ने अर्धसैनिक बलों की नौकरी छोड़ी थी. वर्ष 2013 में सीआरपीएफ के 3519 जवानों ने वीआरएस लिया तथा 600 से ज्यादा ने इस्तीफा दिया था. 

उसी साल बीएसएफ में 3,475 जवानों ने वीआरएस लिया तथा 502 ने इस्तीफा दिया था, जबकि आईटीबीपी में 282 ने वीआरएस लिया, 121 ने इस्तीफा दिया और सीआईएसएफ में 676 ने इस्तीफा दिया तथा 930 ने वीआरएस लिया था. 

उल्लेखनीय है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में सभी अर्धसैनिक बलों में कमांडेंट रैंक तक के जवानों और अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 57 से बढ़ाकर 60 वर्ष करने का निर्देश दिया है जैसा कि अभी सीआईएसएफ और असम राइफल्स में है. 

अदालत ने चार अर्धसैन्य बलों सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी में सेवानिवृत्ति की अलग-अलग आयु की मौजूदा नीति को ‘भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक’ बताया था. 

जाहिर है कि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने से जवानों की फिटनेस पर भी विशेष ध्यान देना पड़ेगा, क्योंकि सेना की ही तरह अर्धसैन्य बलों के जवानों को भी बेहद चुनौतीपूर्ण माहौल में काम करना पड़ता है. इसलिए उनकी समस्याओं की तरफ सरकार को समग्रता से ध्यान देना जरूरी है, जिसमें उनकी फिटनेस की समस्या भी शामिल है, ताकि वे देश की सेवा की ओर अपना पूरा ध्यान दे सकें.

Web Title: government should focus on problems of paramilitary forces in india

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