संपादकीयः चिनूक अब लगाएगा देश के दुश्मनों को ठिकाने
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 27, 2019 07:21 AM2019-03-27T07:21:39+5:302019-03-27T07:21:39+5:30
भारत ने ऐसे 15 हेलिकॉप्टर लेने के लिए बोइंग के साथ करीब 1.5 अरब डॉलर (8,048 करोड़ रुपए) की डील की है,. यह हेलिकॉप्टर वायुसेना के लिए गेम-चेंजर साबित होंगे. इसका पहले से ही दुनिया में विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में प्रयोग होता रहा है.
अमेरिका में निर्मित अधिक वजन उठाने में सक्षम चार चिनूक हेलिकॉप्टरों को सोमवार को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया. चिनूक भारतीय सेना में इस श्रेणी का पहला अमेरिकी हेलिकॉप्टर है. वायुसेना के बेड़े में चिनूक की शुमारी के साथ ही पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक करके आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने वाली भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा हो गया है.
भारत ने ऐसे 15 हेलिकॉप्टर लेने के लिए बोइंग के साथ करीब 1.5 अरब डॉलर (8,048 करोड़ रुपए) की डील की है,. यह हेलिकॉप्टर वायुसेना के लिए गेम-चेंजर साबित होंगे. इसका पहले से ही दुनिया में विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में प्रयोग होता रहा है. अमेरिका चिनूक सीएच-47 हेलिकॉप्टर का वियतनाम के साथ युद्ध में उपयोग कर चुका है. अमेरिका, जापान, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया के कई देश इस हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं. भविष्य में ऐसे 11 और हेलिकॉप्टर वायुसेना को मिलेंगे.
यह पहली बार हो रहा है कि भारतीय वायुसेना की एक स्क्वाड्रन में अमेरिकी और रूसी हेलिकॉप्टर एक साथ उड़ेंगे. भारत ने इन्हें तब वायुसेना में शामिल किया है, जब देश के सुरक्षा बल को इनकी सबसे ज्यादा जरूरत है. देश की बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के बीच फौलादी इरादों वाले इस हेलिकॉप्टर की वजह से अब हर मौसम में मानवीय और आपदा राहत अभियानों तथा राहत आपूर्ति लाने-ले जाने एवं बड़े स्तर पर शरणार्थियों के विस्थापन जैसे मिशन को अंजाम देना आसान हो सकेगा. इसका इस्तेमाल सीधे हमला करने के लिए नहीं होता, बल्कि सैनिकों और सैन्य साजो-सामान को एक से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए होता है.
ये हेलिकॉप्टर सैनिकों, विस्फोटक सामग्री, हथियार और ईंधन लाने ले जाने में सक्षम हैं और न केवल दिन में, बल्कि रात में भी सैन्य अभियान चला सकते हैं. इस लिहाज से युद्ध के समय में ही नहीं, शांति काल में भी चिनूक काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं. खासकर, बाढ़ जैसी आपदा राहत में या फिर किसी आपदाग्रस्त इलाके से लोगों को निकालने के मामले में. कहना गलत न होगा कि ये हमारी वायुसेना के लिए किसी वरदान से कम नहीं. इससे भारतीय वायुसेना अत्याधुनिक तो बनेगी ही, सश सेना का मनोबल भी ऊंचा होगा.