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Toolkit Case: UAPA के डर से Disha Ravi ने Greta Thunberg से डिलीट करवाया था Tweet ? Farmers Protest

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: February 16, 2021 1:54 PM

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क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के टूलकिट ट्वीट मामले में दिल्ली पुलिस ने सोमवार यानी 15 फरवरी को बड़ा दावा किया है। पुलिस ने कहा कि थनबर्ग ने जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि के कहने पर ट्विटर से अपना ट्वीट हटा लिया था। इतना ही नहीं, थनबर्ग का Edited ट्वीट भी दिशा रवि ने ही एडिट किया था। पुलिस ने दावा किया कि यूएपीए के डर से दिशा रवि ने ग्रेटा थनबर्ग से अपना ट्वीट हटाने के लिए कहा था, क्योंकि उस दस्तावेज में उनका भी नाम शामिल था। पुलिस के अनुसार जब पूरे मामले को लेकर विवाद तेज हुआ तो दिशा किसी वकील से सलाह भी लेना चाहती थीं। उन्हें डर था कि UAPA का इस्तेमाल उनके खिलाफ हो सकता है। पुलिस ने ये दावे मिले व्हाट्सएप चैट के आधार पर किया है।पुलिस ने साथ ही कहा कि दिशा से जुड़े अन्य लोग निकिता जैकब और शांतनु मुलुक की भी तलाश जारी है। पुलिस ने बताया कि ये तीनों खालिस्तान के समर्थक धालिवाल के एक महिला सहयोगी के जरिए एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। धालीवाल पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नाम से एक संगठन चलाता है। बता दें कि किसान आंदोलन से जुड़ा टूलकिट ग्रेटा थनबर्ग ने अपने ट्विटर आकाउंट से शेयर किया था। बाद में इस पर बवाल मचने के बाद उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया। हालांकि, कुछ देर बाद उन्होंने उसी दस्तावेज का Edited Edition ट्वीट करते हुए बताया था कि पिछला टूलकिट पुराना था, जिस वजह से उसे हटा दिया गया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि दिशा ने व्हाट्सएप पर थनबर्ग को लिखा, “ठीक है, क्या ऐसा हो सकता है कि आप टूलकिट को पूरी तरह ट्वीट न करें। क्या हम थोड़ी देर के लिए रुक सकते हैं। मैं वकीलों से बात करने वाली हूं। मुझे खेद है, लेकिन उस पर हमारे नाम हैं और हमारे खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई हो सकती है।” पुलिस ने दावा किया कि दिशा ने कथित रूप से UAPA के तहत मामला दर्ज होने के डर से यह अनुरोध किया था।दस्तावेज में, ‘ट्विटर स्टॉर्म’ बनाने और भारतीय दूतावासों के बाहर विरोध प्रदर्शन करने सहित कई योजनाएं सूचीबद्ध की गई थीं, जो किसानों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए बनाई गई थीं। दिल्ली पुलिस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान टूलकिट दस्तावेज से संबंधित प्रश्नों का जवाब देते हुए, पुलिस उपायुक्त (साइबर सेल) अन्येष रॉय ने कहा कि यह एक ‘स्टैटिक’ दस्तावेज नहीं है। रॉय ने कहा, “यह एक गतिशील दस्तावेज है जिसमें बड़ी संख्या में हाइपरलिंक हैं, जो विभिन्न गूगल ड्राइव, गूगल डॉक्स और वेबसाइटों के लिंक हैं। जिसमें से एक है- आस्कइंडियाह्वाई डॉट कॉम है। इस वेबसाइट में बहुत अधिक खालिस्तानी समर्थक सामग्री है। इसलिए यह दस्तावेज़ में अपने आप में एक कार्य योजना है। 22 साल की दिशा को दिल्ली पुलिस ने शनिवार को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। दिशा पांच दिनों की पुलिस हिरासत में हैं। पुलिस ने दावा किया कि ग्रेटा थनबर्ग ने दिशा के अनुरोध के बाद कथित रूप से ट्वीट को हटा दिया और बाद में, दस्तावेज का एक संपादित संस्करण साझा किया। पुलिस के अनुसार वकील निकिता जैकब और इंजीनियर शांतनु मुलुक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किये गये है। ये दोनों फरार हैं। 
टॅग्स :किसान आंदोलनग्रेटा थनबर्ग
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