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काल भैरव को प्रसाद के रूप में शराब क्यों चढ़ाई जाती है, क्या सच में वो मदिरा का सेवन करते हैं?

By उस्मान | Published: November 29, 2018 12:01 PM

काल भैरव का सबसे बड़ा मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में है जिसका नाम श्री काल भैरव है। इस मंदिर में भैरव को प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई जाती है। सवाल यह है कि इतनी शराब कहां जाती है?

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भैरव को काल भैरव के नाम से जाना जाता है। भैरव की उत्पत्ति भगवन शंकर के अंश से मानी जाती है। इसलिए उन्हें भगवान शिव का ही अंश माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। काल भैरव अष्टमी को कालाष्टमी भी कहा जाता है। कहीं-कहीं तो उन्हें शिव का पुत्र भी कहा गया है। मगर कम ही लोग जानते हैं कि काल भैरव की उत्पत्ती कैसे हुई। माना ये भी जाता है कि भगवान शिव के पांचवें अवतार भैरव को भैरवनाथ बोलते हैं। भैरव अष्टमी के दिन भैरव बाबा की विशेष पूजा का महत्व है।  

काल भैरव के चार हाथों में फंदा, त्रिशूल, ड्रम और खोपड़ी रहती है। उन्हें अक्सर एक कुत्ते के साथ दिखाया जाता है। वह हिंदू पौराणिक कथाओं में पैदा हुए लेकिन वो हिंदुओं के अलावा बौद्ध और जैन समुदाय के लिए भी समान रूप से पवित्र हैं। उनकी पूजा नेपाल, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तराखंड में की जाती है।

उज्जैन के काल भैरव में प्रसाद में चढ़ाई जाती है शराब

काल भैरव का सबसे बड़ा और पुराना मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में है जिसका नाम श्री काल भैरव है। इस मंदिर में भैरव को प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई जाती है। इसके अलावा दिल्ली में भी पुराने किले के पीछे एक बड़ा काल भैरव मंदिर है। इस मंदिर में भी शराब चढ़ाई जाती है।  

उज्जैन शहर के इस मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। यहां रोजाना सैकड़ों भक्त भैरव को चढ़ाने के लिए प्रसाद के रूप में शराब लाते हैं और विश्वास-सम्मान के साथ उन्हें अर्पित करते हैं। पूजा के लिए मंदिर के बाहर छोटी बड़ी शराब की बोतलें और अन्य सामग्री मिलती है और भक्त भगवन को अर्पित करने के लिए खरीदते हैं।  

पूरी शराब पी लेती है भैरव की मूर्ति

पूजा करने की विधि इस प्रकार है-सबसे पहले भक्त शराब के बोटल को पंडित को देते हैं। पंडित बोटल की आधी शराब को मूर्ति के पास रखी प्लेट में डाल देता है। धीरे-धीरे उस प्लेट की शराब कम होने लगती है और इस तरह पूरी बोटल खाली हो जाती है। यह नजारा आपको अविश्वसनीय लग सकता है, लेकिन यह सच है। भैरव एकमात्र ऐसे भगवान् हैं जिनके मंदिर में शराब चढ़ाई जाती है।  

कहां जाती है इतनी शराब?

त्योहारों के दौरान एक दिन में सैकड़ों बोतलें देवता को समर्पित की जाती हैं। लेकिन कोई भी नहीं जानता कि शराब की सैकड़ों बोतलें कहां जाती हैं। लेकिन सच यह है कि सालों से ऐसा होता आ रहा है क्योंकि यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है।

काल भैरव को शराब क्यों चढ़ाई जाती है? काल भैरव को शराब पिलाने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है। यह कब, कैसे और क्यों शुरू हुआ, यह कोई नहीं जानता। काल भैरव को शराब क्यों अर्पित की जाती है इसे लेकर भक्तों के अलग-अलग मत हैं। कुछ लोगों का मानना है कि किसी जमाने में एक अंग्रेज अधिकारी ने मंदिर की जांच करवाई थी। लेकिन कुछ भी उसके हाथ नहीं लगा। उसके बाद वे भी काल भैरव के भक्त बन गए। उनके बाद से ही यहां देसी मदिरा को वाइन उच्चारित किया जाने लगा, जो आज तक जारी है। 

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