दुनिया में ऐसे गैंगस्टर्स और माफिया हुए हैं जिन्होंने ना सिर्फ नियम-कानूनों को ताख पर रखा, बल्कि अपनी चालाकी और धूर्तता से दुनिया के सबसे अमीरों में शुमार रहे। उनकी लाइफ इतनी रोचक रही कि फिल्में तक बन चुकी हैं। किसी के नोटों के बंडल गड्ढे में खोदकर डालने पड़ते थे तो कुछ पर हजारों मौतों का इल्जाम है, कुछ गैंगस्टर्स ने अमीरों को लूटकर गरीबों की भी मदद की। ऐसे ही कुछ गैंगस्टर्स की फैसिनेटिंग लाइफ...
1. पाब्लो एस्कोबारः गढ्ढा खोदकर रखता था नोटों की गड्डियां
पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गैविरिया एक कोलंबियाई ड्रग माफिया था। पाब्लो को दुनिया का सबसे खतरनाक और सबसे अमीर ड्रग अपराधी माना जाता था। पाब्लो के भाई रॉबर्टो एस्कोबार की किताब 'द एकाउंट्स स्टोरी' के मुताबिक, वो कई बार एक दिन में 15 टन तक कोकीन की तस्करी करता था। 1989 में फोर्ब्स पत्रिका ने एस्कोबार को दुनिया का 7वां सबसे अमीर व्यक्ति घोषित किया। उसकी अनुमानित निजी संपत्ति 30 बिलियन डॉलर यानी 16 खरब रुपए थी।
पाब्लो की जिंदगी से प्रेरित होकर फिल्म बनी 'Narcos'
2. एल कैपोनः शराब और वेश्यावृत्ति का दादा
अल्फोंस गैब्रिएल कैपोन क्राइम की दुनिया का जाना-माना नाम है जिसने अपनी पूरी जिंदगी शराब की स्मगलिंग और वेश्यावृत्ति में गुजार दी। अमेरिका के सबसे फेमस गैंगस्टर कैपोन को 'स्कारफेस' के नाम से भी जाना जाता है। 1934 में अल्काट्राज जेल में जाने से पहले उसकी व्यक्तिगत सम्पत्ति करीब 100 मिलियन डॉलर हो गई थी।
एएल गैब्रिएल का जीवन 'The Untouchable' फिल्म में दिखाया गया है।
3. दाऊद इब्राहिमः डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं...
भारत में संगठित क्राइम का सबसे बड़ा नाम है दाऊद इब्राहिम। दाऊद ने भारत में 'डी कंपनी' बनाई। उसे 'डॉन' के नाम से जानते हैं। माना जाता है कि अब भी भारत में 'डी' कंपनी का नेटवर्क चलता है। 1993 के मुंबई धमाकों में दाऊद इब्राहिम को मुख्य आरोपी बनाया गया। भारत सरकार को आज भी उसकी तलाश है।
दाऊद इब्राहिम पर 'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई' और 'ब्लैक फ्राइडे' जैसी फिल्में बनी हैं।
4. फ्रैंक लुकसः स्मगलिंग में अपनाया एक नया तरीका
फ्रैंक लुकस 1930 में जन्मा अमेरिकी ड्रग माफिया था। अमेरिकी अपराध की दुनिया में 1960-70 का दशक फ्रैंक के आधिपत्य के नाम था। ड्रग के संगठित धंधे में फ्रैंक लुकस का एक बड़ा योगदान है। उसने ड्रग की खरीदारी के लिए बिचौलिए की भूमिका समाप्त कर दी थी। वो गोल्डेन ट्राएंगल में सीधे अपने सूत्रों से खरीदारी करता था। माना जाता कि वो ताबूत में कोकीन रखकर स्मगलिंग करता था।
फ्रैंक की जिंदगी 'American Gangster' फिल्म में दिखाई गई है।
5. जॉन डिलिंगर: नकली बंदूक के सहारे जेल से भागा
अपनी जिंदगी में जॉन डिलिंगर कई तरह के क्राइम में संलिप्त पाया गया। डिप्रेसन एरा में डिलिंगर ने युनाइटेड स्टेट्स प्रशासन की नाक में दम कर दिया था। डिलिंगर के बारे में प्रचलित है कि वो बड़ी चालाकी से जेल से भाग गया था। अगस्त 1933 में डिलिंगर ने लूट और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उसे तुस्कॉन के झील काउंटी की जेल में बंद किया गया था। जॉन ने साबुन के एक बड़े टुकड़े से एक असली दिखने वाली बंदूक बनाई और उसमें जूते के पॉलिश का पेंट कर दिया वो बंदूक असली जैसी दिखने लगी और उसी के सहारे भागने में सफल रहा। हालांकि एफबीआई ने बाद में उसे फिर पकड़ लिया।
'Public Enemies' जॉन डिलिंगर की जिंदगी से ही इंस्पायर्ड थी।
6. फ्रैंक कोस्टेलो: हेराइन स्मगलिंग का किंग
फ्रैंक कोस्टेलो को 'प्राइम मिनिस्टर कोस्टेलो' के नाम से जाना जाता था। कोस्टेलो एक इतालवी अपराधी था जो 1960 और 1970 के दशक में हेरोइन के व्यापार के लिए मशहूर था। ड्रग स्मगलिंग में कोस्टेलो के पूर्वी ऐशिया तक कनेक्शन थे। इसकी मौत 1973 में न्यू यॉर्क में हार्ट अटैक के कारण हुई थी। ऐसा माना जाता है कि इसके पास कुल 52 मिलियन डॉलर की संपत्ति थी।
कोस्टेलो की जिंदगी पर 'Departed' फिल्म आधारित थी।
7. अरुण गवली: सबका डैडी
2009 में गवली ने जेल में रहते हुए विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा। गवली कई बार हत्या, जबरन वसूली और अपहरण जैसे विभिन्न मामलों को लेकर गिरफ्तार हो चुके हैं और हर बार छूटकर आ जाते थे। साल 2008 में शिवसेना पार्षद कमलाकर जमसांदेकर की हत्या मामले में अरुण गवली को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और वो अभी भी नागपुर जेल में बंद हैं।
अरुण गवली की जिंदगी से प्रेरित होकर 'डैडी' फिल्म बनाई गई है।